यमन की जेल में बंद निमिषा प्रिया की कहानी अब एक दर्दनाक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। एक ऐसी भारतीय नर्स, जिसके लिए कभी माफी की उम्मीदें जगी थीं, अब मौत की सजा के करीब खड़ी है। तलाल अब्दो महदी के परिवार ने यमन के अटॉर्नी जनरल को एक पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि वे ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेंगे। इस पत्र ने न सिर्फ निमिषा के परिवार की उम्मीदों को तोड़ा है, बल्कि पूरे मामले को और जटिल बना दिया है। आखिर क्या है ये पूरा मामला, और क्यों तलाल का परिवार इतना नाराज है?
एक अपराध और सजा की कहानी
निमिषा प्रिया, एक भारतीय नर्स, जिन पर 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा। 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल ने मंजूरी दे दी। इस साल, 2025 में, सजा को अमल में लाने की तारीख भी तय हो चुकी थी। लेकिन ग्रांड मुफ्ती अबूबकर जैसे लोगों ने निमिषा को बचाने की हर संभव कोशिश की। मुफ्ती की कोशिशों से सजा को कुछ समय के लिए टाला गया, लेकिन अब तलाल के परिवार का गुस्सा इस उम्मीद को निगल रहा है।
तलाल के भाई का गुस्सा: “मेरे भाई का खून बाजार की वस्तु नहीं”
तलाल के भाई, अब्दुल फतह महदी, ने अटॉर्नी जनरल को लिखे अपने पत्र में साफ कहा, “हमारा परिवार ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेगा। मेरे भाई का खून कोई बाजार की चीज नहीं है, जिसे खरीदा जा सके।” अब्दुल का कहना है कि निमिषा ने जो अपराध किया, वो माफी के लायक नहीं। उनके मुताबिक, निमिषा ने हत्या के बाद जो कुछ किया, उसे सुनकर ही लोग दुख और गुस्से से भर जाते हैं। अब्दुल का ये भी आरोप है कि इस मामले में जानबूझकर देरी की जा रही है, जो उनके परिवार के साथ अन्याय है। वे मांग करते हैं कि सजा को तुरंत अमल में लाया जाए।
ब्लड मनी: आखिरी उम्मीद भी खत्म
यमन के कानून में ब्लड मनी एक ऐसा रास्ता है, जिसके जरिए पीड़ित परिवार की सहमति से दोषी को माफी दी जा सकती है। लेकिन तलाल का परिवार इस रास्ते को पूरी तरह बंद कर चुका है। अब्दुल का कहना है कि जो लोग ब्लड मनी की बात कर रहे हैं, वे बस निमिषा के परिवार और समर्थकों को गुमराह कर रहे हैं। उनके लिए ये सिर्फ न्याय की लड़ाई है, जिसमें वे ‘किसास’ (बराबर का बदला) चाहते हैं।
निमिषा के लिए बुझती उम्मीदें
निमिषा के लिए अब रास्ते बेहद कम बचे हैं। तलाल के परिवार की सख्ती और ब्लड मनी से इनकार ने निमिषा को बचाने की हर कोशिश को मुश्किल में डाल दिया है। पहले 16 जुलाई को सजा की तारीख तय थी, लेकिन अब ये तारीख अनिश्चित है। यमन की सरकार अब इस मामले में आखिरी फैसला लेगी। निमिषा के परिवार और समर्थकों के लिए ये वक्त बेहद मुश्किल है, क्योंकि उनकी आखिरी उम्मीद भी अब धुंधली पड़ती जा रही है।
एक सवाल जो रह गया
ये कहानी सिर्फ एक अपराध और सजा की नहीं, बल्कि इंसानियत, गुस्से और माफी के बीच की जटिल जंग की है। एक तरफ तलाल का परिवार है, जो अपने भाई के खून का बदला चाहता है, और दूसरी तरफ निमिषा का परिवार, जो अपनी बेटी की जिंदगी के लिए जूझ रहा है। क्या निमिषा को माफी मिल पाएगी? या फिर ये कहानी एक दुखद अंत की ओर बढ़ रही है? ये सवाल अब यमन की अदालतों और तलाल के परिवार के फैसले पर टिका है।
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