महाराष्ट्र

जानें कौन हैं IPS अंजना कृष्णा, जिन्होंने DCM अजित पवार को फोन पर पहचानने से किया इनकार?

अंजना कृष्णा

महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर गर्मा गई है। ये वीडियो राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और युवा महिला आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा की फोन कॉल और वीडियो कॉल बातचीत का है। इसमें दोनों के बीच सोलापुर जिले के करमाला तालुका में मुरम यानी मिट्टी के अवैध खनन को लेकर बहस होती नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर ये वीडियो तेजी से फैल गया है और अब इसका राजनीतिक असर भी दिखाई देने लगा है।

कौन हैं IPS अंचना कृष्णा?
अंजना कृष्णा 2023 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उनका पूरा नाम अंजना कृष्णा वी.एस. है। वो मूल रूप से केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली हैं। उनके पिता कपड़े की दुकान चलाते हैं और मां कोर्ट में टाइपिस्ट हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूजाप्पुरा के सेंट मैरीज सेंट्रल स्कूल से की और आगे गणित में बीएससी नीरामंकरा स्थित एनएसएस कॉलेज फॉर विमेन से पूरी की। यूपीएससी परीक्षा 2023 में अंजना ने ऑल इंडिया रैंक 355 हासिल की थी। वर्तमान में वो सोलापुर जिले के करमाला में डीएसपी के पद पर तैनात हैं। ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में उनकी पहचान है।

क्या हुआ IPS और DCM अजित पवार के बीच?
पूरा विवाद 31 अगस्त को तब शुरू हुआ जब पुलिस को सूचना मिली कि करमाला के कुर्दु गांव में सड़क निर्माण के लिए अवैध तरीके से मिट्टी निकाली जा रही है। अंजना कृष्णा मौके पर पहुंचीं और वहां मौजूद लोगों से रॉयल्टी रसीद मांगी, लेकिन वे कोई कागज नहीं दिखा पाए। अंजना ने तुरंत उत्खनन रोकने का आदेश दिया। इसी दौरान गांव के सरपंच और एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता बाबा जगताप ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार को फोन लगाया और मोबाइल अंजना कृष्णा को थमा दिया।

फोन पर अजित पवार ने खुद को महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम बताते हुए कार्रवाई रोकने का निर्देश दिया। अंजना ने जवाब दिया कि वे उनके मोबाइल पर सीधे कॉल करें। बताया जाता है कि वो पवार की आवाज पहचान नहीं पाईं। इससे नाराज होकर अजित पवार ने वीडियो कॉल किया और कहा, “क्या तुम्हारी इतनी हिम्मत है कि मुझे नहीं पहचानती? मेरा चेहरा तो पहचानोगी ना।” इसके बाद उन्होंने अधिकारी को कार्रवाई रोकने और तहसीलदार से बात करने को कहा।

अजित पवार को देनी पड़ी सफाई
जब ये वीडियो वायरल हुआ और मामला तूल पकड़ने लगा तो अजित पवार को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा कि सोलापुर में पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत का वीडियो प्रसारित हो रहा है। उनका उद्देश्य कानून प्रवर्तन में हस्तक्षेप करना नहीं था, बल्कि ये सुनिश्चित करना था कि स्थिति शांत बनी रहे और आगे न बिगड़े। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने पुलिस बल और विशेष रूप से महिला अधिकारियों पर गर्व है और वो कानून के शासन को सर्वोपरि मानते हैं। पवार ने ये भी कहा कि वे पारदर्शी शासन और अवैध खनन जैसी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सोश मीडिया पर छिड़ी बहस
इस पूरे मामले ने विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। सोशल मीडिया पर जहां लोग अंजना कृष्णा की ईमानदारी और साहस की तारीफ कर रहे हैं, वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या डिप्टी सीएम का रवैया वाकई कानून व्यवस्था में दखल देने वाला था या फिर ये केवल एक गलतफहमी थी।

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