मुंबई

कोकण के पत्थरों पर बनी कला बचाने की गुहार! बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

कोकण के पत्थरों पर बनी कला बचाने की गुहार! बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
Credit: TheIndianExpress
ज़रा सोचो, कोकण में सदियों पहले जो चित्र पत्थर पर उकेरे गए, वो आज ख़तरे में हैं!  बारसू-सोलगांव में एक बड़ा तेल रिफाइनरी बनने वाला है और इसके चलते इन प्राचीन चित्रों के टूटने-फूटने का डर है। इसीलिए ग्रामीणों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। चीफ़ जस्टिस डी के उपाध्याय ने केंद्र सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) से जवाब मांगा है!

याचिका में साफ लिखा है कि प्राचीन कला को बचाना ज़रूरी है! सीनियर एडवोकेट गायत्री सिंह, याचिकाकर्ताओं की तरफ़ से बोलते हुए, कहती हैं कि मामला अत्यावश्यक है, पत्थरों पर बने चित्रों (जिन्हें पेट्रोग्लिफ़्स या जियोग्लिफ़्स भी कहते हैं)  को लगातार नुकसान पहुँच रहा है। चीफ जस्टिस उपाध्याय ने केंद्र के वकील से कहा, “अपने अफ़सरों से निर्देश प्राप्त करें। अगर यूनेस्को जैसी इंटरनेशनल संस्था संवेदनशील हो सकती है, तो ASI क्यों नहीं? हो सके तो ASI का कोई अफसर मौके पर जाकर खुद निरीक्षण करे। अगर इन कलाकृतियों को बचाने लायक पाते हैं, तो कदम उठाएँ। हम आप पर पूरी तरह भरोसा करते हैं!”

ये जनहित याचिका राजापुर तालुके के कोकण गाँव के रहने वाले गणपत एस राउत, रामचंद्र शेलके और मुंबई में रहने वाले रत्नागिरी ज़िले के महेंद्रकुमार गुरव ने दायर की है।  यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी इन्हें शामिल करने की माँग है! साल 1958 के पुरातात्विक नियम के तहत भी कार्रवाई चाहते हैं याचिकाकर्ता

पेट्रोग्लिफ़्स को बचाने के लिए इसी साल ग्रामीणों ने आंदोलन भी किया था! एक्सपर्ट भी कह चुके हैं कि रिफाइनरी बनने से नुकसान होगा और इसे 5-10 किलोमीटर दूर बनाया जाना चाहिए! अब देखना ये है कि 24 अप्रैल की सुनवाई में क्या होता है!

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