बॉम्बे हाई कोर्ट ने BMC को लताड़ लगाते हुए 580 सफाई कर्मचारियों को पक्का करने का आदेश दिया है। ये वो लोग हैं जो मुंबई की सड़कों से कूड़ा उठाते हैं, गटर साफ करते हैं…गंदा और खतरनाक काम! काचरा वहतूक श्रमिक संघ ने इनके लिए केस लड़ा था, क्योंकि BMC इन्हें सालों से बिना किसी सुविधा या पेंशन के काम करवा रही थी।
कई सफाई मजदूर तो 1996 से BMC के लिए काम कर रहे हैं! कोर्ट का कहना है कि ये लोग समाज के सबसे निचले तबके से आते हैं, और BMC इनका फायदा उठाकर इन्हें मामूली सी तनख्वाह देकर गुलामों की तरह रखती है। BMC को ये तो पता है कि मुंबई को साफ रखना बहुत जरूरी है, पर वो भूल जाती है कि इसके लिए जिन लोगों को काम पर रखा जाता है, वो भी इंसान हैं।
कोर्ट ने बिल्कुल सही कहा – सिर्फ टैक्स देने वाले मुंबईकरों का ही शहर साफ रखने का हक नहीं है। जो गंदगी साफ करते हैं, वो भी सम्मान और अच्छी जिंदगी के हकदार हैं।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में बहुत कड़ी बातें कही हैं। जस्टिस मिलिंद जाधव ने कहा कि BMC इन मजदूरों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार करती है। एक तरफ ये लोग गंदगी और बीमारियों के खतरे में काम करते हैं, और दूसरी तरफ इन्हें डॉक्टर या हॉस्पिटल तक का खर्च नहीं मिलता!
देखते हैं BMC इस आदेश को मानती भी है या नहीं! बड़े-बड़े सरकारी महकमे अक्सर कोर्ट के फटकार को भी अनदेखा कर देते हैं। अभी तो इन मजदूरों को खुश होने का हक है, पर असली खुशी तब मिलेगी जब BMC उन्हें पक्का करे और उनके लिए काम करने की परिस्थितियां सुधारे!