स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में पिछले कुछ दिनों से तेजी लौट आई है। BSE मिडकैप इंडेक्स लगातार पांच कारोबारी दिनों से और BSE स्मॉलकैप इंडेक्स पूरे सात दिन से चढ़ रहा है। क्या इसका मतलब यह है कि इन शेयरों में गिरावट का दौर थम गया है? आइए जानते हैं बाज़ार के एक्सपर्ट्स इस बारे में क्या सोचते हैं…
स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियां वो होती हैं, जो आकार में बड़ी कंपनियों (लार्जकैप) से छोटी होती हैं। इनमें निवेश जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन मुनाफा कमाने का मौका भी ज्यादा रहता है। पिछले कुछ समय से इन शेयरों में गिरावट चल रही थी, लेकिन अब इनमें तेज़ी देखी जा रही है।
अब सवाल यह है कि क्या यह तेज़ी जारी रहेगी? इस बारे में एक्सपर्ट्स की राय बंटी हुई है। कुछ मानते हैं कि यह सिर्फ एक अस्थाई उछाल है और शेयरों के दाम फिर गिर सकते हैं। दूसरे एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि कंपनियों के तिमाही नतीजे अच्छे रहे और चुनाव का असर अनुकूल रहा, तो इन शेयरों में लंबे समय तक तेज़ी का दौर देखने को मिल सकता है।
कई एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों का वैल्यूएशन अभी भी काफी ऊंचा है, जिससे जोखिम बढ़ता है। बाज़ार के उतार-चढ़ाव के बावजूद, अच्छे प्रदर्शन वाली कंपनियों में निवेश का मौका हमेशा बना रहता है। इसलिए निवेशकों को किसी इंडेक्स के पीछे भागने के बजाय कंपनियों के प्रदर्शन पर भी गौर करना चाहिए।
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के डायरेक्टर क्रांति बथिनी नियर टर्म में मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स को लेकर पॉजिटिव हैं, लेकिन साथ ही सतर्कता भी बरतने की सलाह देते हैं। स्वतंत्र एनालिस्ट अंबरीश बालिघा का कहना है कि वैल्यूएशन ऊंचा होने के कारण इन शेयरों में करेक्शन की संभावना बनी हुई है। कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर की सीईओ लक्ष्मी अय्यर ने निवेशकों को हाई वैल्यूएशन के चलते स्मॉलकैप शेयरों में कम और लार्जकैप शेयरों में ज्यादा निवेश करने की राय दी है।