Good News: ठाणे में 3.5 एकड़ ज़मीन पर फैले कूड़े के ढेर को अब हरे-भरे जंगल में बदला जाएगा। इसके लिए मियावाकी पौधरोपण विधि के ज़रिए 33,000 से ज़्यादा पौधे लगाए जाएंगे। दरअसल एक कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट कंपनी और एक गैर-सरकारी संस्था (NGO) ने मिलकर कचरे से भरी इस जगह को हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया है।
‘अर्थ मंथ’ के मौके पर सेल्सफोर्स नाम की कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट कंपनी और ग्रीन यात्रा नाम के एक NGO ने मिलकर ठाणे के घोलाई नगर में मियावाकी पौधरोपण विधि से शहरी इलाके में जंगल बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। ग्रीन यात्रा जहां स्थायी विकास (sustainable development) के लक्ष्यों को पाने की दिशा में काम करती है, वहीं सेल्सफोर्स 1t.org प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसे ‘ट्रिलियन ट्रीज़’ नाम से भी जाना जाता है। इस प्रोग्राम को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का भी समर्थन है।
अभी जहां ये ज़मीन कूड़े-कचरे और प्लास्टिक से भरी पड़ी है, वहीं जल्द ही 45 अलग-अलग तरह के देसी पेड़ लगाए जाएंगे। जब ये पौधे बड़े होंगे तो हर साल करीब 7,33,3398 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड सोखने में मदद करेंगे। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वातावरण से इसे कम करते हैं। एक पेड़ लगभग 10-25 किलो कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रति वर्ष सोख लेता है।
सेल्सफोर्स इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर (ऑपरेशन्स एंड साइट लीड टेक्नोलॉजी, प्रोडक्ट) संकेत अटल ने कहा, “स्थायित्व (Sustainability) हमारे लिए बेहद मूल्यवान है। भरोसे, ग्राहकों की सफलता, इनोवेशन और समानता के साथ ये हमारा प्रमुख लक्ष्य है। 1t.org के संस्थापक सदस्यों के तौर पर हम पूरे भारत में पेड़ों के संरक्षण, नए पेड़ लगाने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए कटिबद्ध हैं।”
उनका कहना है कि ये प्रोजेक्ट पर्यावरण को फिर से बेहतर बनाने की दिशा में अहम कदम है। अटल के मुताबिक, “भारत में पेड़ लगाकर जंगल बढ़ाने का काम पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से निपटने और लोगों की ज़िंदगी की गुणवत्ता सुधारने में मददगार होगा। ये संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों (sustainable development goals) के अनुरूप है, खासकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने, जैव विविधता को बनाए रखने और सतत प्रगति से जुड़े लक्ष्यों को पाने में।”