Abdullah Family and BJP’s Relationship: भारतीय राजनीति में जम्मू-कश्मीर की अहमियत हमेशा से चर्चा का विषय रही है, और इस चर्चा के केंद्र में अब्दुल्ला परिवार का नाम बार-बार आता है। अब्दुल्ला परिवार (Abdullah Family), जो नेशनल कांफ्रेंस का नेतृत्व करता है, ने राजनीति के खेल में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अब, जब जम्मू-कश्मीर में नई राजनीतिक हलचलें हो रही हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या अब्दुल्ला परिवार और बीजेपी के रिश्ते फिर से बनने वाले हैं। इस रिश्ते के पुनर्जीवित होने की संभावना को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं, खासकर जब फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में मोदी सरकार की तारीफ की है।
अब्दुल्ला परिवार और बीजेपी: अतीत में कैसे रहे रिश्ते?
अगर हम इतिहास पर नज़र डालें, तो अब्दुल्ला परिवार (Abdullah Family) और बीजेपी के बीच का रिश्ता कभी स्थिर नहीं रहा। 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी, तब नेशनल कांफ्रेंस ने बीजेपी का साथ दिया था। उसी दौरान, फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला को वाजपेयी सरकार में मंत्री बनाया गया था। उस समय यह गठबंधन कई लोगों के लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस का झुकाव पहले से कांग्रेस की ओर था।
हालांकि, यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चल पाया, और दोनों पार्टियों ने बाद में अपनी-अपनी राहें अलग कर लीं। इसके बावजूद, फारूक अब्दुल्ला अक्सर वाजपेयी की तारीफ करते रहे हैं, और हाल ही में उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों की भी सराहना की है, जिससे राजनीतिक विश्लेषक यह सोचने लगे हैं कि क्या अब्दुल्ला परिवार और बीजेपी के रिश्ते (Abdullah Family and BJP’s Relationship) फिर से मजबूत हो सकते हैं।
हालिया घटनाएं: अब्दुल्ला परिवार की मोदी सरकार की तारीफ
अब्दुल्ला परिवार और बीजेपी के बीच संबंधों को लेकर चर्चा तब और तेज़ हो गई जब हाल ही में फारूक अब्दुल्ला ने विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा पाकिस्तान की यात्रा की घोषणा की सराहना की। अब्दुल्ला ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया और उम्मीद जताई कि इससे भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधर सकते हैं।
इस मौके पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक विचार का भी जिक्र किया, जिसमें वाजपेयी ने कहा था कि “दोस्त बदले जा सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।” फारूक अब्दुल्ला के इस बयान ने फिर से यह संकेत दिया कि उनके और बीजेपी के बीच के रिश्ते पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं।
क्या अब्दुल्ला परिवार और बीजेपी का रिश्ता बदल सकता है जम्मू-कश्मीर की राजनीति?
अगर अब्दुल्ला परिवार और बीजेपी के रिश्ते (Abdullah Family and BJP’s Relationship) फिर से मजबूत होते हैं, तो इससे जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। राज्य की राजनीतिक स्थिति पहले से ही बहुत जटिल है, और राज्यपाल का अधिकार काफी प्रभावशाली है। ऐसे में, अगर नेशनल कांफ्रेंस केंद्र सरकार के करीब होती है, तो उन्हें राज्य में राजनीतिक लाभ मिल सकता है।
इसके अलावा, केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करना अब्दुल्ला परिवार के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। फारूक अब्दुल्ला ने हमेशा जम्मू-कश्मीर के विकास की बात की है, और इसके लिए बड़े बजट की जरूरत होगी, जो केंद्र सरकार से ही संभव हो सकता है।
क्या राजनीतिक समीकरण फिर से बदल सकते हैं?
राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता, और यह बात अब्दुल्ला परिवार पर भी लागू होती है। हाल ही में, जब फारूक अब्दुल्ला से बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावना पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि जनता ने उन्हें बीजेपी के खिलाफ वोट दिया है, और ऐसे में बीजेपी के साथ जाना संभव नहीं है। हालांकि, राजनीति में वक्त कब बदल जाए, कहा नहीं जा सकता।
यह भी देखा गया है कि बीजेपी के कई नेताओं का मानना है कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी से कहीं बेहतर है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती अक्सर ऐसे बयान देती हैं जो बीजेपी को पसंद नहीं आते, जबकि फारूक अब्दुल्ला भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्तों की बात करते हैं। यह उदारवादी दृष्टिकोण उन्हें बीजेपी के करीब ला सकता है, खासकर तब जब राज्य की राजनीतिक परिस्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण हैं।
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