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Agnibaan रॉकेट की कामयाबी, भारत के स्पेस सेक्टर के लिए नए युग की शुरुआत!

Agnibaan रॉकेट की कामयाबी

Agnibaan रॉकेट की कामयाबी: देश में चुनावों की गहमागहमी के बीच एक निजी स्पेस कंपनी, अग्निकुल कॉसमॉस, ने हाल ही में अपने रॉकेट की पहली सफल लॉन्चिंग की। इस कामयाबी के साथ ही भारत के स्पेस सेक्टर में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है। इस उपलब्धि को इसरो (ISRO) समेत देश-विदेश के स्पेस सेक्टर से जुड़े लोगों ने सराहा है। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कंपनी को बधाई दी है।

पहली बार नहीं

ये पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय निजी कंपनी ने भारत से रॉकेट लॉन्च किया हो। नवंबर 2022 में स्काईरूट एयरोस्पेस ने भी अपना रॉकेट विक्रम लॉन्च किया था। लेकिन अग्निकुल के अग्निबान रॉकेट की खास बात ये है कि इसका इंजन पूरी तरह से 3D प्रिंटेड है।

छोटे सैटेलाइट की बड़ी मांग

अग्निबान और विक्रम दोनों ही रॉकेट छोटे सैटेलाइट बाजार को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनकी मदद से कम्युनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग, आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी और समुद्र निगरानी जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले सैटेलाइट लॉन्च किए जा सकते हैं।

3D प्रिंटेड इंजन

अग्निबान की सबसे खास बात इसका 3D प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन है। इस इंजन में कोई पुर्जा या मूविंग पार्ट नहीं है, जिससे इसकी क्षमता बढ़ जाती है और लागत कम आती है।

निजी लॉन्चपैड से हुई लॉन्चिंग

अग्निबान की एक और खास बात यह है कि इसे श्रीहरिकोटा में बने निजी लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया। यह भारत के लिए पहली बार है। इससे पहले सभी रॉकेट लॉन्चिंग इसरो के लॉन्चपैड से ही होती थी।

भारत का स्पेस सेक्टर हुआ और भी मजबूत

अग्निकुल और स्काईरूट की सफलता से साफ है कि भारत के स्पेस सेक्टर में अब निजी कंपनियों की भी अहम भूमिका होगी। ये कंपनियां न सिर्फ देश के स्पेस प्रोग्राम को आगे बढ़ाएंगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेंगी।

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