Air Pollution Problem in Mumbai: मुंबई, जिसे सपनों का शहर कहा जाता है, अब सांस लेने के लिए सबसे मुश्किल जगहों में से एक बनता जा रहा है। हाल ही में खराब हवा की गुणवत्ता (Poor Air Quality) पर आई एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि शिवाजी नगर, कांदिवली और मलाड जैसे इलाके मुंबई के सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र बन चुके हैं।
यह स्टडी Respirer Living Sciences (RSL) द्वारा की गई, जिसमें स्थानीय स्तर पर हवा में मौजूद प्रदूषकों को मापा गया। यह रिपोर्ट बताती है कि मुंबई के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है।
वायु गुणवत्ता पर रिपोर्ट का खुलासा
RSL की रिपोर्ट के अनुसार, शिवाजी नगर ने सबसे खराब PM 2.5 स्तर रिकॉर्ड किया, जो नवंबर में औसतन 105 ug/m3 तक पहुंच गया। इसके बाद कांदिवली (101.5 ug/m3) और मलाड (92.5 ug/m3) का नंबर आता है। ये आंकड़े बताते हैं कि मुंबई के इन इलाकों की हवा में सांस लेना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
गौरतलब है कि मुंबई में वायु प्रदूषण की समस्या (Air Pollution Problem in Mumbai) का एक बड़ा कारण निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और कचरा प्रबंधन स्थलों के आसपास की स्थिति है।
प्रदूषण के पीछे मुख्य कारण
शहर के प्रदूषण में योगदान देने वाले कुछ मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- वाहनों का उत्सर्जन: मुंबई की सड़कों पर लाखों गाड़ियां हर दिन दौड़ती हैं, जो हवा में हानिकारक गैसों का स्तर बढ़ाती हैं।
- निर्माण कार्य की धूल: तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते निर्माण कार्य में उड़ने वाली धूल प्रदूषण का बड़ा कारण बन गई है।
- कचरा प्रबंधन स्थलों की नजदीकी: शिवाजी नगर और देवनार जैसे इलाकों में कचरा प्रबंधन स्थलों के आसपास की हवा में जहरीले तत्व ज्यादा पाए गए हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
IIT कानपुर के प्रोफेसर सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने कहा, “हाइपरलोकल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग पारंपरिक तरीकों के मुकाबले अधिक सटीक होती है। यह हमें प्रदूषण के स्रोत की पहचान करने और लक्षित उपायों के जरिए हवा को साफ करने में मदद करती है।”
इस रिपोर्ट के जरिए सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इसमें कम उत्सर्जन वाले जोन बनाने, शहरी हरियाली बढ़ाने और लोगों को जागरूक करने के लिए रियल-टाइम डेटा टूल्स का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।
मुंबई के भविष्य के लिए चिंताजनक स्थिति
शिवाजी नगर और कांदिवली जैसे इलाकों में प्रदूषण के खतरनाक स्तर ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मुंबई की हवा कब तक सांस लेने लायक बनेगी। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इस महानगर में रहना और भी मुश्किल हो जाएगा।