Alcohol during flight: हवाई यात्रा में शराब पीने से जुड़े विवाद कोई नयी बात नहीं हैं। कई बार नशे में धुत यात्रियों की वजह से हवाई सफर बाकी लोगों के लिए मुश्किल बन जाता है। अब इसी मुद्दे को लेकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सुप्रीम कोर्ट को अपना जवाब दिया है। डीजीसीए ने स्पष्ट किया है कि विमानों के दौरान कितनी शराब परोसी जानी चाहिए, और क्या इस पर कोई नियम हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल ये मामला तब सुर्खियों में आया जब एक 72 वर्षीय महिला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि न्यूयॉर्क से दिल्ली आते समय एक यात्री ने शराब के नशे में उन पर पेशाब कर दिया। महिला ने एयर इंडिया पर लापरवाही का भी आरोप लगाया। इस याचिका पर ही डीजीसीए ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है।
डीजीसीए ने अपने हलफनामे में बताया है कि वर्तमान में ‘सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट’ (सीएआर) नियम मौजूद हैं, जिनके तहत विमान के अंदर उपद्रव मचाने वाले यात्रियों से निपटा जा सकता है। जहां तक शराब परोसने का प्रश्न है, डीजीसीए के अनुसार, ये किसी भी एयरलाइन की अपनी ज़िम्मेदारी है कि वो एक समझदारी वाली नीति अपनाए। इस नीति का लक्ष्य ये सुनिश्चित करना है कि किसी यात्री को इतनी शराब न दी जाए कि वो नशे की हालत में उपद्रव करने लगे। (Alcohol during flight)
ऐसा लगता है कि डीजीसीए ने कुछ हद तक एयरलाइनों को ही ये अधिकार दे दिया है कि वो अपनी परोसी जाने वाली शराब की नीति तय करें। अब ये देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट डीजीसीए के इस रुख से संतुष्ट होता है या नहीं। हालांकि, यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से एयरलाइनों को अपनी शराब पॉलिसी पर फिर से गौर करने की ज़रूरत है।
डीजीसीए ने साथ ही ये भी कहा है कि नशे में धुत यात्रियों से कैसे निपटना है, इस पर एक विस्तृत एसओपी (SOP) तैयार करने की आवश्यकता है। एयर इंडिया पर महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। (Alcohol during flight)
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