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Rash Driving Crackdown: बाबूजी धीरे चलना; रैश ड्राइविंग पर लगेगी लगाम, नया पॉइंट सिस्टम लाने की तैयारी

Rash Driving Crackdown: बाबूजी धीरे चलना; रैश ड्राइविंग पर लगेगी लगाम, नया पॉइंट सिस्टम लाने की तैयारी

Rash Driving Crackdown: सड़कों पर तेज रफ्तार गाड़ियां, रेड लाइट को अनदेखा करना, और सीट बेल्ट की अनदेखी—ये कुछ ऐसी गलतियां हैं, जो हर दिन भारत की सड़कों पर देखने को मिलती हैं। भारी चालान और सख्त नियमों के बावजूद, लोग रैश ड्राइविंग (Rash Driving) से बाज नहीं आ रहे। इस समस्या से निपटने के लिए परिवहन विभाग अब एक नई और सख्त व्यवस्था लाने की तैयारी में है—पॉइंट सिस्टम (Point System)। इस व्यवस्था के तहत, अगर आपने ट्रैफिक नियम तोड़े, तो आपके ड्राइविंग लाइसेंस पर निगेटिव पॉइंट्स जुड़ेंगे। और अगर ये पॉइंट्स एक सीमा से ज्यादा हो गए, तो आपका लाइसेंस सस्पेंड या रद्द भी हो सकता है। यह खबर 03 मई 2025 को सामने आई, और यह नई पीढ़ी के ड्राइवरों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है। आइए, इस नई योजना को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि यह कैसे हमारी सड़कों को सुरक्षित बनाएगी।

भारत की सड़कों पर हर साल करीब 1.7 लाख लोग हादसों में अपनी जान गंवाते हैं या घायल होते हैं। इनमें से ज्यादातर हादसे रैश ड्राइविंग, ओवरस्पीडिंग, और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी की वजह से होते हैं। 2019 में, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ट्रैफिक चालान की राशि में भारी बढ़ोतरी की थी, ताकि लोग नियमों का पालन करें। लेकिन इस कदम का असर सीमित रहा। लोग चालान भरकर फिर वही गलतियां दोहराते रहे। अब परिवहन विभाग ने फैसला किया है कि केवल चालान काफी नहीं हैं; एक ऐसी व्यवस्था चाहिए, जो ड्राइवरों को नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करे।

यहीं से पॉइंट सिस्टम (Point System) का विचार सामने आया। इस सिस्टम के तहत, हर ड्राइवर के लाइसेंस पर एक स्कोर कार्ड की तरह काम होगा। अगर आपने ट्रैफिक नियम तोड़ा, जैसे कि रेड लाइट जंप की, ओवरस्पीडिंग की, या सीट बेल्ट नहीं पहना, तो आपके लाइसेंस पर निगेटिव पॉइंट्स (डिमेरिट पॉइंट्स) जुड़ेंगे। दूसरी ओर, अगर आपने नियमों का पालन किया और सुरक्षित ड्राइविंग का प्रदर्शन किया, तो आपको मेरिट पॉइंट्स मिल सकते हैं। लेकिन अगर निगेटिव पॉइंट्स एक तय सीमा से ज्यादा हो गए, तो आपका ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड हो सकता है, और गंभीर मामलों में इसे रद्द भी किया जा सकता है। यह सिस्टम चालान से अलग होगा, यानी चालान का भुगतान करने के बावजूद आपको पॉइंट्स का सामना करना पड़ेगा।

यह सिस्टम भारत के लिए नया हो सकता है, लेकिन दुनिया के कई देशों में यह पहले से लागू है। ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, और कनाडा जैसे देशों में पॉइंट सिस्टम ने सड़क हादसों को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। यहां तक कि चीन के कुछ शहरों में भी ऐसी व्यवस्था शुरू हो चुकी है। इन देशों में, ड्राइवरों को अपने लाइसेंस की रक्षा के लिए नियमों का पालन करना पड़ता है, क्योंकि पॉइंट्स की सीमा पार होने पर लाइसेंस खोने का डर रहता है।

भारत में इस सिस्टम को लागू करने के लिए परिवहन विभाग ने सभी राज्यों के साथ विचार-विमर्श किया है। एक ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, और जल्द ही मोटर व्हीकल्स एक्ट में संशोधन की योजना है। परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ महीनों में यह व्यवस्था लागू हो सकती है। इस सिस्टम को और प्रभावी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कैमरों और तकनीक का सहारा लिया जाएगा। मिसाल के तौर पर, अगर कोई ड्राइवर रेड लाइट जंप करता है, तो ट्रैफिक कैमरे उसे रिकॉर्ड करेंगे, और उसके लाइसेंस पर तुरंत निगेटिव पॉइंट्स जुड़ जाएंगे। यह तकनीक न केवल गलतियों को पकड़ने में मदद करेगी, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगी।

हालांकि अभी इस सिस्टम का अंतिम ड्राफ्ट तैयार नहीं हुआ है, लेकिन कुछ गलतियों को लेकर स्पष्टता है, जिनके लिए निगेटिव पॉइंट्स दिए जाएंगे। ओवरस्पीडिंग, यानी तय सीमा से ज्यादा तेज गाड़ी चलाना, इस सिस्टम का सबसे बड़ा लक्ष्य है। भारत में सड़क हादसों का एक बड़ा कारण तेज रफ्तार है, और इस पर सख्ती जरूरी है। इसके अलावा, रेड लाइट जंप करना, सीट बेल्ट न पहनना, और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए गाड़ी चलाना भी उन गलतियों में शामिल है, जिनके लिए पॉइंट्स काटे जाएंगे।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए, दिल्ली के एक ड्राइवर ने एक महीने में दो बार रेड लाइट जंप की और एक बार ओवरस्पीडिंग की। हर गलती के लिए उसे 2-3 निगेटिव पॉइंट्स मिल सकते हैं। अगर कुल पॉइंट्स 12 की सीमा को पार कर गए, तो उसका लाइसेंस 6 महीने के लिए सस्पेंड हो सकता है। यह सिस्टम ड्राइवरों को अपनी गलतियों का हिसाब रखने के लिए मजबूर करेगा, क्योंकि हर छोटी गलती उनके लाइसेंस को खतरे में डाल सकती है।

यह पहली बार नहीं है, जब भारत में पॉइंट सिस्टम की बात उठी है। 2011 में भी इस तरह की व्यवस्था लाने पर विचार किया गया था। उस समय सुझाव था कि एक तय सीमा से ज्यादा गलतियां करने वाले ड्राइवर का लाइसेंस कम से कम एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया जाए। लेकिन उस प्रस्ताव पर अमल नहीं हो सका, क्योंकि तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियां पूरी नहीं थीं। अब, 2025 में, सरकार इस सिस्टम को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। डिजिटल तकनीक, जैसे कि ट्रैफिक कैमरे और ऑनलाइन लाइसेंस डेटाबेस, ने इस सिस्टम को लागू करना आसान बना दिया है।

2019 में चालान की राशि बढ़ाने का फैसला भी इसी तरह का एक कदम था। उस समय, ओवरस्पीडिंग का चालान 400 रुपये से बढ़कर 2,000 रुपये तक हो गया था, और रेड लाइट जंप करने की सजा 1,000 रुपये तक पहुंच गई थी। लेकिन चालान की सख्ती का असर कुछ समय बाद कम हो गया, क्योंकि लोग इसे एक रुटीन खर्च की तरह देखने लगे। पॉइंट सिस्टम इस समस्या को हल करने का वादा करता है, क्योंकि यह ड्राइवरों को पैसे से ज्यादा उनके लाइसेंस की चिंता करने पर मजबूर करेगा।

यह सिस्टम न केवल नियम तोड़ने वालों को सजा देगा, बल्कि अच्छे ड्राइवरों को प्रोत्साहन भी देगा। मेरिट पॉइंट्स का विचार उन ड्राइवरों के लिए एक पुरस्कार की तरह है, जो नियमों का पालन करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई ड्राइवर एक साल तक बिना किसी गलती के गाड़ी चलाता है, तो उसे मेरिट पॉइंट्स मिल सकते हैं, जो भविष्य में उसके लाइसेंस को बचाने में मदद कर सकते हैं। यह सकारात्मक प्रोत्साहन ड्राइवरों को सुरक्षित ड्राइविंग की आदत डालने के लिए प्रेरित करेगा।

लेकिन इस सिस्टम का दूसरा पहलू यह है कि यह ड्राइवरों पर एक नया दबाव भी डालेगा। खासकर उन लोगों के लिए, जिनके लिए ड्राइविंग उनकी आजीविका का हिस्सा है, जैसे कि टैक्सी और ट्रक ड्राइवर। अगर उनका लाइसेंस सस्पेंड हो गया, तो उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ सकता है। इसीलिए, परिवहन विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सिस्टम न केवल सख्त हो, बल्कि निष्पक्ष भी हो।

पॉइंट सिस्टम को सफल बनाने में तकनीक की भूमिका सबसे अहम होगी। भारत के बड़े शहरों में पहले से ही ट्रैफिक कैमरे और ऑटोमेटेड चालान सिस्टम काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई और दिल्ली में रेड लाइट जंप करने या ओवरस्पीडिंग करने पर चालान सीधे ड्राइवर के मोबाइल पर पहुंच जाता है। पॉइंट सिस्टम में भी यही तकनीक इस्तेमाल की जाएगी। हर ड्राइवर का लाइसेंस एक डिजिटल डेटाबेस से जुड़ा होगा, जहां उनके पॉइंट्स का रिकॉर्ड रखा जाएगा। यह डेटाबेस ड्राइवरों को भी उनके स्कोर की जानकारी देगा, ताकि वे अपनी गलतियों को सुधार सकें।

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