Ravan Worship: भारत में कुछ जगहों पर रावण को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। विजयादशमी पर जहां ज्यादातर जगह रावण दहन होता है, वहीं कुछ जगहों पर उनकी पूजा भी की जाती है।
रावण की पूजा का रहस्य: भारत के कई हिस्सों में रावण पूजा (Ravan Worship) एक पुरानी परंपरा है। लखनऊ के चार धाम मंदिर में यह परंपरा 135 साल से चल रही है। यहां रावण पूजा को लेकर लोगों की अलग सोच है। वे रावण को बुराई के बजाय ज्ञान का प्रतीक मानते हैं।
मंदिर का इतिहास और महत्व
लखनऊ के पुराने शहर में स्थित चार धाम मंदिर की अपनी खास पहचान है। इसे छोटी काशी भी कहा जाता है। कुंदन लाल कुंज बिहारी लाल ने इस मंदिर को बनवाया था। आज उनकी छठी पीढ़ी इस मंदिर की देखभाल कर रही है। मंदिर में एक खास जगह है जिसे ‘रावण दरबार’ कहा जाता है। यहां रावण के साथ उनके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ की मूर्तियां भी हैं। विभीषण की मूर्ति भी यहां स्थापित है।
पूजा का मतलब और परंपरा
दशहरे की अनोखी परंपरा (Unique Dussehra Tradition) के तहत यहां रावण को जलाया नहीं जाता। मंदिर के पुजारी सियाराम अवस्थी कहते हैं कि इस पूजा का मकसद लोगों को सही और गलत की समझ देना है। रावण एक विद्वान थे और उनसे कई सीख ली जा सकती हैं। यह पूजा लोगों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि वे अपने जीवन में कैसे कर्म करना चाहते हैं।
मंदिर की खास बातें
मंदिर में सिर्फ रावण दरबार ही नहीं है। यहां रामेश्वरम, राम सेतु और लंका का भी निर्माण किया गया है। एक तरफ जहां रावण अपने मंत्रियों के साथ दिखाए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ श्री राम धनुष-बाण के साथ खड़े हैं। उनकी सेना भी साथ में दिखाई गई है। इस तरह पूरी रामायण की कहानी को मंदिर में दर्शाया गया है।
मंदिर में आने वाले लोग रावण दरबार में जरूर जाते हैं। कई लोग यहां आकर रावण की पूजा करते हैं और उनसे ज्ञान की प्रार्थना करते हैं। हर साल विजयादशमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है। लोग दूर-दूर से इस पूजा में शामिल होने आते हैं। पुजारी कहते हैं कि यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों तक चलती रहेगी।
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