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Asian Youth Athletics Championship 2025: महाराष्ट्र की बेटी ने सऊदी अरब में किया भारत का नाम रोशन, 17 साल की शौर्या ने जीता ब्रॉन्ज मेडल

Asian Youth Athletics Championship 2025
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15 वर्षीय शौर्या अंबुरे ने सऊदी अरब के दम्माम में आयोजित एशियाई युवा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में अंडर-18 महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। इस उपलब्धि के साथ, वो विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंच गई हैं। आइए, जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी।

कांस्य पदक की चमक
शौर्या ने 13.8 सेकंड में दौड़ पूरी कर कांस्य पदक अपने नाम किया। ये उनका लगातार दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। फाइनल में कड़े मुकाबले के बावजूद, उन्होंने 13.85 सेकंड के अपने पिछले व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय को पीछे छोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया। इस प्रतियोगिता में चीन की बाओ यिनयिन (13.71 सेकंड) ने स्वर्ण और ही यिहुई (13.76 सेकंड) ने रजत पदक जीता।

खास बात: शौर्या ने क्वालिफाइंग राउंड में सबसे तेज समय (13.85 सेकंड) दर्ज किया, जो  उनकी मेहनत और प्रतिभा का सबूत है।

एशियाई युवा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025
15 से 18 अप्रैल 2025 तक सऊदी अरब के दम्माम में आयोजित इस चैंपियनशिप में 30 एशियाई देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। भारत की ओर से 36 खिलाड़ियों का चयन हुआ, जिनमें महाराष्ट्र की शौर्या अंबुरे (100 मीटर बाधा दौड़) और आंचल पाटिल (ऊंची कूद) शामिल थीं। शौर्या ने महाराष्ट्र के लिए एकमात्र पदक जीता, जो उनके लिए गर्व का क्षण है।

पढ़ाई और खेल का शानदार तालमेल
ठाणे की यूनिवर्सल हाई स्कूल में दसवीं कक्षा की छात्रा शौर्या बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। पिछले 9 वर्षों से वो वरिष्ठ कोच अजीत कुलकर्णी की AIM अकैडमी में प्रशिक्षण ले रही हैं, जिन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार किया है।

प्रेरणा का स्रोत: आईपीएस माता-पिता
शौर्या की मां, रूपाली अंबुरे, महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में ठाणे हाईवे ट्रैफिक की पुलिस अधीक्षक हैं। वे एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका और फिटनेस प्रेमी भी हैं। शौर्या के पिता, अविनाश अंबुरे, मीरा-भायंदर, वसई-विरार के अपराध विभाग में डीसीपी के रूप में कार्यरत हैं। उनके माता-पिता की देश सेवा और समर्पण की भावना ने शौर्या को तिरंगा लहराने की प्रेरणा दी।

प्रेरणादायक तथ्य: शौर्या की मां पहली महिला थीं, जिन्हें महाराष्ट्र पुलिस अकादमी, नासिक में एडीओडी नियुक्त किया गया।

निश्चित रूप से शौर्या की ये उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। महज 15 साल की उम्र में विश्व रैंकिंग में चौथा स्थान हासिल करना उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो पढ़ाई और खेल को एक साथ संतुलित करना चाहता है।

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