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Atal Bihari Vajpayee: UN में हिंदी वाला भाषण, पोखरण में परमाणु परीक्षण; ऐसे ही नहीं अमर है अटल बिहारी वाजपेयी का नाम

Atal Bihari Vajpayee: UN में हिंदी वाला भाषण, पोखरण में परमाणु परीक्षण; ऐसे ही नहीं अमर है अटल बिहारी वाजपेयी का नाम

AB Vajpayee’s 100th Birth Anniversary (अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती): भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का नाम भारतीय राजनीति और साहित्य में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल जी ने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता, कवि हृदय, और दूरदर्शी सोच से देश और दुनिया को प्रेरित किया। आज उनकी 100वीं जयंती पर हम उनके जीवन, उपलब्धियों और आदर्शों को याद कर रहे हैं।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक कवि और शिक्षक थे। अटल जी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक किया और डीएवी कॉलेज, कानपुर से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। छात्र जीवन से ही उनकी वाणी ओजस्वी और प्रभावशाली थी, जो आगे चलकर उनकी राजनीति और साहित्य में झलकी।


राजनीतिक यात्रा की शुरुआत

अटल जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेकर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर भारतीय जनसंघ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। 1980 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गठन के समय वे इसके संस्थापक सदस्य बने। उनकी सादगी, सौम्यता, और विचारशीलता ने उन्हें राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई।


प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में केवल 13 दिनों का था, लेकिन 1998 और 1999 में उन्होंने लगातार सरकार का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में भारत ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं।

1. पोखरण परमाणु परीक्षण (Pokhran Nuclear Test):
1998 में उनके नेतृत्व में भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किए। यह कदम न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि इसे एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करता है।

2. कारगिल युद्ध (Kargil War):
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अटल जी की कूटनीति और नेतृत्व ने भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलाया। यह युद्ध भारत की संप्रभुता की रक्षा में उनकी दृढ़ता का प्रतीक बन गया।

3. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना (Golden Quadrilateral Project):
अटल जी ने भारत की सड़कों और परिवहन को सुधारने के लिए ‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ परियोजना शुरू की, जो आज देश की आर्थिक और भौगोलिक संरचना में एक मील का पत्थर है।


हिंदी और काव्य का योगदान

अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं और भाषण उनके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा थे। 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में उनके भाषण ने भारतीय संस्कृति और भाषा को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई दी। उनकी कविताएं जैसे “हार नहीं मानूंगा” और “गीत नया गाता हूं” आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।


पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के प्रयास

अटल जी ने 1999 में लाहौर बस यात्रा के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग का संदेश दिया। उनकी यह सोच थी कि “हम अपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।” हालांकि कारगिल युद्ध ने उनके प्रयासों को झटका दिया, लेकिन उनके साहसिक कदम को दुनियाभर में सराहा गया।


नेहरू के प्रति आदर और सकारात्मक राजनीति

अटल जी की राजनीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू था उनकी सकारात्मक सोच। 1957 में जब वे पहली बार संसद पहुंचे, तो उनके भाषण ने नेहरू जी को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने कहा, “यह युवक एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा।” यह भविष्यवाणी बाद में सच साबित हुई।


अटल जी का साहित्यिक पक्ष

राजनीति के साथ-साथ अटल जी का साहित्यिक योगदान भी अद्वितीय है। उनकी किताब “मेरी इक्यावन कविताएं” और अन्य रचनाएं आज भी साहित्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी कविताएं संघर्ष, आशा, और प्रेरणा का संगम हैं।


अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि वे एक विचारधारा थे। उनके कार्यों, शब्दों, और आदर्शों ने भारतीय राजनीति और समाज को नई दिशा दी। उनकी जयंती पर उन्हें याद करना एक महान नेता और कवि को श्रद्धांजलि देने के समान है। उनके योगदान को देश और दुनिया हमेशा याद रखेगी।


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