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दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री बनीं आतिशी: शपथ ग्रहण में छुए केजरीवाल के पैर; जानें नई CM की कहानी

दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री बनीं आतिशी: शपथ ग्रहण में छुए केजरीवाल के पैर; जानें नई CM की कहानी

दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ा, जब आतिशी ने 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आतिशी ने देश की राजधानी दिल्ली में एक इतिहास रचते हुए सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। उनके शपथ ग्रहण के दौरान एक खास पल तब आया जब उन्होंने अपने गुरु और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पैर छुए। यह घटना केवल राजनीति की नहीं, बल्कि उस विश्वास और रिश्ते की प्रतीक थी, जो आतिशी और केजरीवाल के बीच है।

आइए, इस ऐतिहासिक घटना के पीछे की कहानी को और गहराई से समझते हैं।


एक अनोखा शपथ ग्रहण

17 सितंबर 2024 का दिन दिल्ली की राजनीति के लिए ऐतिहासिक बन गया। आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रमुख नेत्री आतिशी ने उपराज्यपाल विनय सक्सेना के समक्ष मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली के राजनिवास में आयोजित किया गया, जिसमें कई प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया। इस समारोह की एक खास बात यह थी कि आतिशी के साथ उनके माता-पिता भी उपस्थित थे, जो उनकी इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के साक्षी बने।

आतिशी का मुख्यमंत्री बनना केवल उनके राजनीतिक करियर का एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत है। आतिशी से पहले दिल्ली में सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, और आतिशी इस क्रम में तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनके साथ पांच अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिनमें सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत शामिल हैं।


आतिशी: शिक्षा से राजनीति तक का सफर

आतिशी का नाम राजनीति में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली सरकार की नीतियों को नए आयाम दिए। शिक्षा, PWD और वित्त विभाग समेत कुल 13 विभागों की जिम्मेदारी अब आतिशी के पास है। वह कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुकी हैं और आम आदमी पार्टी की सबसे भरोसेमंद नेताओं में गिनी जाती हैं। 2013 से आतिशी के कार्यों ने यह साबित किया कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।

आतिशी का राजनीतिक सफर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के मार्गदर्शन में आगे बढ़ा। जब भी पार्टी को कठिन समय का सामना करना पड़ा, आतिशी ने उसे मजबूती से खड़ा रखा। यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम है कि आज वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। उनके मुख्यमंत्री बनने से दिल्ली में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।


क्यों चुनी गईं आतिशी?

आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। सबसे पहले, वह अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की सबसे विश्वसनीय साथी मानी जाती हैं। शिक्षा और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में उनका योगदान अनुकरणीय रहा है। वह न केवल पार्टी के अंदर, बल्कि विपक्ष के खिलाफ भी एक मजबूत आवाज़ रही हैं। दिल्ली के जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी, और यही कारण था कि आम आदमी पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुना।

दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह था कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा और आतिशी का मुख्यमंत्री बनना, पार्टी की रणनीतिक सोच का हिस्सा है। यह निर्णय न केवल पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखने के लिए लिया गया है, बल्कि जनता को यह संदेश देने के लिए भी कि आम आदमी पार्टी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है।


क्या आतिशी के लिए चुनौतीपूर्ण होगा यह सफर?

आतिशी को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने का यह मौका मिला है, लेकिन यह सफर आसान नहीं होने वाला है। दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त हो रहा है, और आतिशी को अगले कुछ महीनों में अपनी छवि को और मजबूत करना होगा। उनका मुख्यमंत्री बनना दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव है, लेकिन विधानसभा चुनाव में इसे बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।

आतिशी का नेतृत्व, उनकी निर्णय क्षमता और जनता के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें इस पद पर लंबे समय तक बनाए रखने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल का समर्थन और उनकी सरकार के अनुभव का लाभ उन्हें मिलेगा।

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