बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंदू-अल्पसंख्यक हिंसा पर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इसे “जघन्य” अपराध बताते हुए युवाओं से अपील की है कि वे सभी समुदायों की रक्षा करें। इस बीच, देश में राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ता जा रहा है।
बांग्लादेश में हिंदू-अल्पसंख्यक हिंसा: यूनुस की चिंता और युवाओं से अपील
बांग्लादेश में पिछले कुछ दिनों से हिंदू-अल्पसंख्यक हिंसा (Hindu-Minority Violence) का माहौल गरम है। 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना सरकार के हटने के बाद से देश में तनाव बढ़ गया है। इस दौरान हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले हुए हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता और अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताई है।
यूनुस ने 10 अगस्त को रंगपुर के बेगम रोकेया विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “क्या हिंदू और अल्पसंख्यक हमारे नहीं हैं?” उन्होंने इन हमलों को “जघन्य” अपराध बताया और युवाओं से अपील की कि वे सभी हिंदू, ईसाई और बौद्ध परिवारों की रक्षा करें।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 5 दिनों में बांग्लादेश के 52 जिलों में कम से कम 205 हिंसक घटनाएं हुई हैं। हजारों हिंदू परिवार डर के मारे भारत भागने की कोशिश कर रहे हैं। यूनुस ने युवाओं से कहा, “बांग्लादेश अब आपके हाथों में है। आप इसे जहां चाहें ले जा सकते हैं।”
यूनुस ने छात्रों को अबू सईद की तरह खड़े होने की सलाह दी, जिन्होंने शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, “हमें अबू सईद की मां, बहनों और भाइयों की रक्षा करनी है।”
इस बीच, बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंदुओं ने अपने घरों, दुकानों और मंदिरों पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रदर्शन किया। ढाका के शाहबाग चौराहे पर लोगों ने “हिंदुओं को बचाओ” और “हमारे मंदिरों को क्यों लूटा जा रहा है?” जैसे नारे लगाए।
हिंदू-अल्पसंख्यक हिंसा (Hindu-Minority Violence) के इस दौर में बांग्लादेश के न्यायिक और शैक्षणिक क्षेत्र में भी बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। 12 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन समेत पांच शीर्ष न्यायाधीशों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा, ढाका विश्वविद्यालय के कुलपति और बांग्ला अकादमी के महानिदेशक ने भी अपने पद छोड़ दिए हैं।
यूनुस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। उनकी अपील का मकसद देश में शांति और सद्भाव बनाए रखना है। उन्होंने युवाओं से कहा, “आप देश को बचाने में सक्षम हैं; क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते?”
हिंदू-अल्पसंख्यक हिंसा (Hindu-Minority Violence) की इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान खींचा है। कई देशों ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। भारत ने भी इस मामले में गहरी चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेश से अपने नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी मांगी है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश इस संकट से कैसे निपटता है। यूनुस की अपील और युवाओं की भूमिका इस चुनौतीपूर्ण समय में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
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