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BJP ने क्रीमी लेयर के मुद्दे पर सबको चौंकाया, संवैधानिकता की जीत या राजनीतिक चाल?

BJP ने क्रीमी लेयर के मुद्दे पर सबको चौंकाया, संवैधानिकता की जीत या राजनीतिक चाल?
केंद्र सरकार ने SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान को लागू न करने का फैसला किया है। यह निर्णय राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। BJP इसे संवैधानिक कदम बता रही है, जबकि विपक्ष मौन है। इस फैसले के पीछे क्या कारण हैं और इसका 2024 के चुनावों पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

क्रीमी लेयर पर BJP का बड़ा दांव: संविधान की रक्षा या चुनावी चाल?

हाल ही में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने SC-ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ (Creamy Layer) के प्रावधान को लागू न करने का फैसला किया है। यह खबर 10 अगस्त, 2024 को सामने आई, जब केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में एक बयान दिया।

क्रीमी लेयर क्या है? यह एक ऐसा प्रावधान है जो आरक्षण के लाभ को सीमित करता है। इसके तहत, जो लोग आरक्षण का फायदा उठाकर पहले ही समृद्ध हो चुके हैं, उन्हें आगे आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि SC-ST समुदायों में से जो लोग अब संपन्न हो गए हैं, उन्हें क्रीमी लेयर में रखा जाए।

लेकिन BJP सरकार ने इस सुझाव को मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि संविधान में SC-ST के लिए क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे लगभग 25 करोड़ SC-ST लोगों पर सीधा असर पड़ेगा।

इस फैसले के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? कुछ लोगों का मानना है कि यह एक राजनीतिक चाल है। 2024 के आम चुनाव नजदीक हैं, और BJP इस मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाना चाहती है। वे खुद को दलितों और आदिवासियों का हितैषी दिखाना चाहते हैं।

दूसरी तरफ, विपक्षी दल इस मुद्दे पर चुप हैं। शायद वे इस मुद्दे पर कुछ कहने से डर रहे हैं। अगर वे क्रीमी लेयर का समर्थन करते हैं, तो उन्हें SC-ST वोटों का नुकसान हो सकता है। और अगर वे इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें अन्य वर्गों का गुस्सा झेलना पड़ सकता है।

BJP का दावा है कि वे संविधान की रक्षा कर रहे हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि क्रीमी लेयर से गरीब SC-ST लोगों को फायदा हो सकता था। अब जो लोग पहले से ही अमीर हैं, वे भी आरक्षण का लाभ लेते रहेंगे।

इस फैसले का असर आने वाले चुनावों पर जरूर पड़ेगा। क्या BJP इस मुद्दे पर SC-ST वोटों को अपनी ओर खींच पाएगी? या फिर विपक्ष इसका जवाब देने में कामयाब होगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

क्रीमी लेयर का मुद्दा बहुत जटिल है। इसमें सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास का सवाल जुड़ा हुआ है। BJP का कहना है कि वे SC-ST समुदायों के हितों की रक्षा कर रहे हैं। लेकिन क्या यह फैसला वाकई में उनके हित में है? या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है? ये सवाल अभी बने हुए हैं।

आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और बहस होने की उम्मीद है। क्रीमी लेयर का मुद्दा अब सिर्फ एक कानूनी बहस नहीं रह गया है। यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जो 2024 के चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है।

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