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Bangladesh ISKCON controversy: क्या इस्कॉन वाकई कट्टरपंथी है? बांग्लादेश सरकार के आरोपों पर बड़ा विवाद

Bangladesh ISKCON controversy
Bangladesh ISKCON controversy: हाल ही में बांग्लादेश सरकार द्वारा इस्कॉन (ISKCON) को “धार्मिक कट्टरपंथी संगठन” (Radical Religious Organization) करार देने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है।

यह आरोप बांग्लादेश के हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के दौरान लगाया गया। इस्कॉन, जो पूरी दुनिया में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और सेवा कार्यों के लिए प्रसिद्ध है, अब कट्टरपंथी संगठन के आरोपों का सामना कर रहा है। इस लेख में हम इस पूरे विवाद, इसके कारणों, और इससे जुड़े बड़े सवालों को विस्तार से समझेंगे।


इस्कॉन पर आरोप: मामला कहां से शुरू हुआ?

इस्कॉन, जिसे अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (International Society for Krishna Consciousness) के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से आलोचनाओं का सामना कर रहा है। यह विवाद तब बढ़ा जब हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। इन प्रदर्शनों के दौरान कई हिंदू मंदिरों और इस्कॉन के अनुयायियों को निशाना बनाया गया।

बांग्लादेश के हाई कोर्ट (High Court) में दाखिल याचिका में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। सुनवाई के दौरान, बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमान ने इस्कॉन को एक “धार्मिक कट्टरपंथी संगठन” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि इस्कॉन बांग्लादेश की स्थिरता के लिए खतरा बन रहा है।


चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उसके बाद की घटनाएं

चिन्मय कृष्ण दास, जो कभी इस्कॉन के सदस्य थे, हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे। उनकी गिरफ्तारी “राष्ट्रीय ध्वज का अपमान” करने के आरोप में हुई। इसके बाद हिंदू समुदाय में गुस्सा भड़क उठा।

  • विरोध प्रदर्शन: गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।
  • हिंदू समुदाय पर हमले: विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंदू समुदाय के लोगों और मंदिरों पर 200 से अधिक हमले दर्ज किए गए।
  • अंतरराष्ट्रीय चिंता: भारत सहित कई देशों ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की।

बांग्लादेश सरकार की स्थिति

बांग्लादेश सरकार ने दावा किया है कि चिन्मय कृष्ण दास को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने के कारण गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारी किसी समुदाय के खिलाफ नहीं थी, बल्कि “राजद्रोह” के आरोप में की गई थी।

हालांकि, अटॉर्नी जनरल (Attorney General) का इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन कहना विवाद का कारण बन गया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस्कॉन की गतिविधियों की जांच कर रही है और जल्द ही अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी।


इस्कॉन की प्रतिक्रिया: सेवा और शांति की दुहाई

इस्कॉन के उपाध्यक्ष, राधा रमण दास ने इन आरोपों को “असत्य और निंदनीय” बताया। उन्होंने कहा कि इस्कॉन का मिशन हमेशा सेवा और शांति का रहा है। उन्होंने बताया:

  1. सेवा कार्य: “बांग्लादेश में बाढ़ के दौरान हमने हजारों लोगों की मदद की। हमने जरूरतमंदों को खाना, कपड़े और दवाइयां उपलब्ध कराई।”
  2. वैश्विक योगदान: “इस्कॉन ने दुनिया भर में 8 अरब से अधिक लोगों को भोजन कराया है। हम एक धार्मिक संगठन हैं, कट्टरपंथी नहीं।”

उन्होंने यह भी कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय नेताओं से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं।


भारत की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय चिंता

भारत ने इस पूरे मामले पर “गहरी चिंता” व्यक्त की है। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों की निंदा की। उन्होंने कहा:

“यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश सरकार इन मामलों में निष्पक्षता से कार्रवाई करेगी।”


क्या इस्कॉन सच में कट्टरपंथी संगठन है?

बांग्लादेश सरकार द्वारा इस्कॉन पर कट्टरपंथ का आरोप लगाना चौंकाने वाला है। इस्कॉन का मुख्य उद्देश्य कृष्ण भक्ति का प्रचार और मानव सेवा है।

  • सेवा कार्य: इस्कॉन ने समय-समय पर धार्मिक, सामाजिक और मानवीय सहायता में अपनी भूमिका निभाई है।
  • धार्मिक कट्टरता से दूरी: इस्कॉन हमेशा शांति, भाईचारे और समानता का संदेश देता आया है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले को बारीकी से देख रहा है, और यह देखना होगा कि बांग्लादेश सरकार इन आरोपों को साबित कर पाती है या नहीं।

 

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