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Battle for Muslim Leadership: मुस्लिमों का सबसे बड़ा लीडर बनने की फाइट, मौलाना Vs भाईजान, मचा घमासान

Battle for Muslim Leadership: मुस्लिमों का सबसे बड़ा लीडर बनने की फाइट, मौलाना Vs भाईजान, मचा घमासान

Battle for Muslim Leadership: मुस्लिम राजनीति में एक नई लड़ाई शुरू हो चुकी है। यह लड़ाई सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी सियासी रणनीतियां और नेतृत्व की भूख छिपी हुई है। मौलाना सज्जाद नोमानी, असदुद्दीन ओवैसी, और शहाबुद्दीन बरेलवी के बीच यह जंग इस बात की है कि मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा नेता कौन होगा।

हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद यह जंग और तेज हो गई है। मुस्लिम नेता की जंग (Fight for Muslim Leader) में जुबानी तीर चल रहे हैं और एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।

ओवैसी बनाम नोमानी: कैसे शुरू हुई लड़ाई?

महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के बाद, असदुद्दीन ओवैसी मालेगांव पहुंचे। मालेगांव वह सीट है, जहां ओवैसी की पार्टी AIMIM को एकमात्र जीत मिली। यहां उन्होंने सीधे-सीधे मौलाना सज्जाद नोमानी को निशाना बनाते हुए कहा कि महाविकास अघाड़ी के समर्थन में उनका बयान मुसलमानों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।

ओवैसी ने कहा, “फतवे और भगवे की लड़ाई से मुसलमानों का बड़ा नुकसान हुआ। बाहर बैठकर चुनाव न लड़ने वालों को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए।”

इसका जवाब मौलाना सज्जाद नोमानी ने भी दिया। उन्होंने कहा, “मैं ओवैसी के लिए अल्लाह से दुआ करता हूं कि वह सही रास्ते पर रहें। अगर गलती मुझसे हो रही है तो मुझे सही रास्ता दिखाएं। लेकिन, मुझे लगता है कि उनकी वजह से सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं।”

“घर आए, चाय तक नहीं पिलाई”

ओवैसी ने एक किस्सा बताते हुए कहा कि सज्जाद नोमानी उनके घर हैदराबाद आए थे। उन्होंने कहा, “बिना बताए आए। मैंने उनका स्वागत किया और उन्हें टिकट पर विचार करने का भरोसा दिलाया। लेकिन बाद में उन्होंने औरंगाबाद जाकर कहा कि मैं उनके घर गया और चाय तक नहीं पिलाई। अगर पहले कहते तो मैं नान-खलिया खिला देता।”

इस बयान से लड़ाई और बढ़ गई। नोमानी ने इसे सीधे-सीधे सियासी लाभ उठाने का प्रयास बताया।

बरेलवी का हस्तक्षेप

जब ओवैसी और नोमानी के बीच यह लड़ाई चल रही थी, तब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने भी अपनी एंट्री कर दी। उन्होंने दोनों नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा, “ये दोनों सिर्फ अपने हितों के लिए मुसलमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं।”

बरेलवी का मानना है कि अगर मुस्लिम समुदाय को सही नेतृत्व मिलना है, तो इसके लिए न केवल सच्चाई, बल्कि आपसी सलाह-मशवरा भी जरूरी है।

मुस्लिम नेतृत्व की लड़ाई: आंकड़ों का खेल

मुस्लिम नेतृत्व की लड़ाई (Battle for Muslim Leadership) के पीछे महाराष्ट्र के चुनावी आंकड़े भी अहम हैं। राज्य में लगभग 38 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर 20% या उससे ज्यादा हैं। इन सीटों पर मुसलमान जिस भी पार्टी को समर्थन देंगे, उसकी जीत पक्की मानी जाती है।

हालांकि, 2024 के चुनावों में AIMIM को सिर्फ एक सीट मिली। 2019 में यह संख्या दो थी। इस गिरावट के लिए ओवैसी ने मौलाना नोमानी को जिम्मेदार ठहराया।

मुस्लिम राजनीति में क्या है भविष्य?

मुस्लिम नेतृत्व की इस लड़ाई में अभी और अध्याय लिखे जाने बाकी हैं। ओवैसी, नोमानी और बरेलवी तीनों के बीच यह संघर्ष सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है। यह देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय का नेतृत्व पाने की होड़ है।

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