ऑनटीवी स्पेशल

Belagavi Dispute: बेलगावी का विवाद, क्‍यों उठ रही इस शहर को UT बनाने की मांग?

Belagavi Dispute: बेलगावी का विवाद, क्‍यों उठ रही इस शहर को UT बनाने की मांग?

बेलगावी विवाद (Belagavi Dispute) महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों से चला आ रहा एक जटिल सीमा विवाद है। यह विवाद मुख्य रूप से बेलगावी जिले पर केंद्रित है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा है। हाल ही में शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

विवाद का इतिहास

1956 में जब भारत में राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया, तब बेलगावी को कर्नाटक में शामिल किया गया। महाराष्ट्र का दावा है कि बेलगावी और आसपास के क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों की बहुलता है, इसलिए यह क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा होना चाहिए। दूसरी ओर, कर्नाटक का कहना है कि बेलगावी का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव कन्नड़ परंपरा से है, और यह क्षेत्र सदियों से कर्नाटक का अभिन्न हिस्सा रहा है।

हालिया घटनाएं और बढ़ता तनाव

2022 में केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को सलाह दी थी कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई कार्रवाई न करें। इसके बावजूद, कर्नाटक विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें महाराष्ट्र को बेलगावी पर कोई भी दावा करने से रोका गया। इस पर महाराष्ट्र विधानसभा ने भी जवाबी प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मराठी भाषी गांवों को कानूनी रूप से महाराष्ट्र में शामिल करने की बात कही गई।

इस बीच, बेलगावी में बढ़ते तनाव के चलते महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) के नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। शिवसेना (यूबीटी) ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस ने सख्ती की।

केंद्रशासित प्रदेश की मांग

प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने पत्र में कहा कि बेलगावी में विवाद और अशांति को समाप्त करने के लिए इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया जाना चाहिए। उनके अनुसार, इस कदम से न केवल विवाद खत्म होगा बल्कि सभी भाषाई समुदायों को न्याय भी सुनिश्चित होगा।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच आम सहमति की कमी ने विवाद को और बढ़ा दिया है। केंद्रशासित प्रदेश बनने से बेलगावी को एक तटस्थ प्रशासन मिलेगा, जो वहां के निवासियों की समस्याओं को सुलझाने में मदद करेगा।

विवाद का राजनीतिक महत्व

केंद्रशासित प्रदेश की मांग (Demand for UT Status) केवल बेलगावी की समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि यह दोनों राज्यों के राजनीतिक समीकरण को भी बदल सकता है। यह मांग क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है, जिसमें दोनों राज्यों के नेताओं का रुख बेहद कड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अभी लंबित है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति और अन्य संगठनों ने अदालत से प्रक्रिया तेज़ करने का अनुरोध किया है। अदालत का निर्णय इस विवाद का समाधान तय करेगा, लेकिन तब तक राजनीतिक बहस जारी रहेगी।

क्या कहता है भविष्य?

बेलगावी विवाद केवल सीमा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भाषाई और सांस्कृतिक पहचान का सवाल भी है। इस मामले में केंद्रीय सरकार का फैसला महत्वपूर्ण होगा। प्रियंका चतुर्वेदी की केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग ने इस मुद्दे को और गहराई दी है।

बेलगावी विवाद जैसे मुद्दे भारत की जटिल विविधता और भाषाई आधार पर बने राज्यों के पुनर्गठन की चुनौतियों को उजागर करते हैं। इसका समाधान केवल सामंजस्य और निष्पक्षता के जरिए ही संभव है।

#BelagaviDispute #MaharashtraVsKarnataka #BorderConflict #UTStatusDemand #PoliticalDebate

ये भी पढ़ें: Belagavi Dispute: बेलगावी का विवाद, क्‍यों उठ रही इस शहर को UT बनाने की मांग?

You may also like