पुणे के 22 नेत्रहीन छात्रों ने हिमालय की चोटियों को छुआ है। ये कोई आम ट्रिप नहीं थी, बल्कि हौसलों और जज्बे की एक मिसाल! फ्रिज की बर्फ से लेकर हिमालय की बर्फ तक का सफर इन छात्रों के लिए किसी सपने से कम नहीं था।
दिल छू लेने वाला सफ़र
17 मई को शुरू हुआ ये सफ़र 7 दिनों तक चला। पुणे की तीन संस्थाओं – स्वरूपसेवा, गिरिप्रेमी और लव केयर शेयर फाउंडेशन – ने मिलकर इस अद्भुत यात्रा को संभव बनाया। 14 वॉलंटियर्स की मदद से छात्रों ने हिमालय की कठिनाइयों का डटकर सामना किया।
नग्गर से शुरू हुआ सफ़र
हिमाचल प्रदेश के नग्गर में स्थित अपनॉर्थ कैंपसाइट से इस सफ़र की शुरुआत हुई। यहां से छात्रों ने टिल्ला शारणी तक का छोटा सा ट्रेक किया। इस दौरान उन्हें हिमालय के मौसम के अलग-अलग रंग देखने को मिले और स्थानीय संस्कृति से रूबरू होने का मौका भी मिला।
अंबाला में मिली प्रेरणा
इस सफ़र के दौरान छात्रों ने अंबाला में फिल्म ‘श्रीकांत’ भी देखी, जिसने उन्हें चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा दी। 20 मई को उन्होंने मनाली के पास अटल टनल पार की और खोखसर में बर्फ के साथ जमकर मस्ती की। 11,000 फीट की ऊंचाई पर भी किसी को कोई परेशानी नहीं हुई, जिसका श्रेय उनकी अच्छी सेहत और हौसले को जाता है।
कुदरती गर्म पानी के झरने में नहाने का मज़ा
अगले दिन, मनाली के पास कलथ में ब्यास नदी के किनारे प्राकृतिक गर्म पानी के झरनों में नहाने का लुत्फ़ उठाया। इस अनुभव को छात्रों ने अपने जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक बताया।
हिमाचली टोपी पहनकर लौटे घर
सफ़र के अंत में, अपनॉर्थ कैंपसाइट के डायरेक्टर चंदन शर्मा ने छात्रों को पारंपरिक हिमाचली टोपी भेंट की, जो हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान है। इस सफ़र ने न सिर्फ छात्रों की ज़िंदगी को समृद्ध किया, बल्कि उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा करने की ताकत भी दी। इस यात्रा से ये साबित हुआ कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं।
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