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राजनीति के चक्कर में अब खून नहीं मिल रहा! चुनाव की आचार संहिता ने बढ़ाई मुसीबत

राजनीति के चक्कर में अब खून नहीं मिल रहा! चुनाव की आचार संहिता ने बढ़ाई मुसीबत

आचार संहिता ने बढ़ाई स्टेट ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न काउंसिल मुसीबत: गर्मियों में अक्सर खून की कमी हो जाती है, इसलिए स्टेट ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न काउंसिल ने इस बार पहले से तैयारी शुरू कर दी थी।  अप्रैल के शुरुआती दिनों तक तो ब्लड बैंकों में ठीक-ठाक स्टॉक है, लेकिन उसके बाद क्या होगा?

कॉलेज के स्टूडेंट्स अक्सर रक्तदान करते हैं। लेकिन मार्च में जैसे ही  एग्ज़ाम्स खत्म होते हैं, अप्रैल-मई में तो छुट्टियाँ लग जाती हैं। कई लोग अपने गाँव या घूमने-फिरने चले जाते हैं।  ऐसे में खून देने वाले कम हो जाते हैं और ब्लड बैंकों को बहुत मुश्किल होती है।

इसलिए स्टेट ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न काउंसिल ने फरवरी में ही प्लान बनाना शुरू कर दिया था। उनका कहना है कि ब्लड बैंक वाले रेलवे स्टेशनों पर और बड़ी-बड़ी हाउसिंग सोसाइटीज़ में कैंप लगाकर खून इकट्ठा कर सकते हैं।

वैसे अभी तो स्टॉक है, लेकिन पूरे राज्य को हर रोज़ तकरीबन 5000 यूनिट खून की ज़रूरत होती है।

आम तौर पर देखा जाए तो नेता लोग बड़े-बड़े ब्लड डोनेशन कैंप लगाते हैं, लेकिन अब चुनाव आचार संहिता (कोड ऑफ कंडक्ट) लगने से उन्होंने सारे कैंप कैंसिल कर दिए हैं! अब देखते हैं क्या होता है। धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को इस समय आगे आना चाहिए।

चुनाव खत्म होने के बाद फिर से सब सामान्य हो जाएगा, लेकिन अभी के लिए तो थोड़ी चिंता की बात है।

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