Mumbai Abandoned Vehicles: मुंबई, वह शहर जो कभी नहीं सोता, अपनी भीड़भाड़ वाली सड़कों और तेज रफ्तार जिंदगी के लिए जाना जाता है। लेकिन इन सड़कों पर एक ऐसी समस्या लंबे समय से जड़ें जमाए बैठी है, जो न केवल ट्रैफिक को प्रभावित करती है, बल्कि पैदल यात्रियों के लिए भी खतरा बन चुकी है। हम बात कर रहे हैं परित्यक्त वाहन (Abandoned Vehicles) या छोड़े गए वाहन (Chhode Gaye Vahan) की, जो शहर के कोने-कोने में बेकार पड़े हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने अब इस समस्या से निपटने के लिए कमर कस ली है। 03 मई 2025 को बीएमसी ने घोषणा की कि वह 26 हाइड्रोलिक वैन की मदद से 20,000 से अधिक परित्यक्त वाहनों को हटाने के लिए एक एजेंसी नियुक्त करेगी। यह कदम न केवल सड़कों को सुगम बनाएगा, बल्कि मुंबई को और सुरक्षित और पैदल यात्री-अनुकूल भी बनाएगा। आइए, इस पहल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मुंबई की सड़कों पर आपको अक्सर पुरानी कारें, स्कूटर, या ट्रक दिख जाएंगे, जो धूल और जंग से ढके, बिना किसी मालिक के खड़े हैं। बीएमसी के अनुमान के अनुसार, शहर में इस समय 20,000 से अधिक ऐसे वाहन हैं, जो सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा किए हुए हैं। ये वाहन न केवल ट्रैफिक की रफ्तार को धीमा करते हैं, बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी जोखिम पैदा करते हैं। कई बार ये वाहन असामाजिक तत्वों के लिए छिपने की जगह बन जाते हैं, जिससे अपराध का खतरा बढ़ता है। सायन, वडाला, दादर, दहिसर, बोरीवली, मलाड, अंधेरी, मुलुंड, और कांजुरमार्ग जैसे इलाकों में इन वाहनों की संख्या सबसे ज्यादा है।
नागरिकों की लगातार शिकायतों के बाद, बीएमसी ने इस समस्या को गंभीरता से लिया। पिछले कुछ सालों में, बीएमसी ने 5,958 परित्यक्त वाहनों को जब्त किया और उनकी नीलामी से 4.70 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर वाहनों को हटाने के लिए एक व्यवस्थित योजना की जरूरत थी, और अब बीएमसी ने इसके लिए ठोस कदम उठाया है।
बीएमसी ने हाल ही में एक निविदा जारी की है, जिसमें एक ऐसी एजेंसी को नियुक्त करने की बात कही गई है, जो इन परित्यक्त वाहनों की पहचान करेगी और उन्हें हटाएगी। इस काम के लिए बीएमसी हर साल कम से कम 1 करोड़ रुपये खर्च करेगी, और एजेंसी को 24 महीनों के लिए नियुक्त किया जाएगा। इस प्रक्रिया में 26 हाइड्रोलिक वैन का उपयोग किया जाएगा, जो इन वाहनों को सड़कों से हटाकर स्क्रैपयार्ड तक ले जाएंगी।
यह प्रक्रिया पूरी तरह से व्यवस्थित होगी। सबसे पहले, एजेंसी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के डेटा की मदद से वाहनों के मालिकों की पहचान करेगी। इसके बाद, मालिकों को 48 घंटे का नोटिस दिया जाएगा, जिसमें उन्हें अपने वाहन को हटाने के लिए कहा जाएगा। अगर मालिक इस समय सीमा में वाहन नहीं ले जाते, तो बीएमसी उसे जब्त कर लेगी। जब्त किए गए वाहनों को एक महीने तक स्क्रैपयार्ड में रखा जाएगा, ताकि मालिक आकर दावा कर सकें। अगर इस दौरान कोई दावा नहीं करता, तो वाहनों की नीलामी कर दी जाएगी।
यह पूरी प्रक्रिया मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 की धारा 314 के तहत होगी। इस कानून के अनुसार, बीएमसी को सार्वजनिक स्थानों पर छोड़े गए वाहनों को जब्त करने और उनकी नीलामी करने का अधिकार है। बीएमसी ने पहले भी इस कानून का उपयोग किया है, लेकिन अब इसे और प्रभावी तरीके से लागू करने की योजना है। हालांकि, एक चुनौती यह है कि बीएमसी के पास अभी तक इन जब्त वाहनों को रखने के लिए एक समर्पित जगह नहीं है। इस दिशा में भी काम चल रहा है, ताकि प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए।
मुंबई जैसे शहर में, जहां हर इंच जगह कीमती है, परित्यक्त वाहन न केवल सड़कों को अवरुद्ध करते हैं, बल्कि शहर की सुंदरता को भी प्रभावित करते हैं। ये वाहन ट्रैफिक जाम का एक बड़ा कारण बनते हैं, खासकर उन इलाकों में जहां सड़कें पहले से ही संकरी हैं। इसके अलावा, पैदल यात्रियों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये वाहन खतरा पैदा करते हैं। बीएमसी की यह पहल न केवल ट्रैफिक को सुचारू करेगी, बल्कि सड़कों को पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित भी बनाएगी।
यह योजना मुंबई को एक स्मार्ट और स्वच्छ शहर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। सायन में सड़क किनारे खड़े पुराने ट्रक, जो सालों से हिले नहीं हैं, या बोरीवली में गलियों में पड़ी जंग खाती कारें—ये सब अब अतीत की बात हो सकती हैं। बीएमसी की इस पहल से न केवल सड़कें खुली और साफ होंगी, बल्कि शहरवासियों को एक बेहतर जीवनशैली का अनुभव भी होगा।
हालांकि बीएमसी इस दिशा में बड़ा कदम उठा रही है, लेकिन नागरिकों की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। कई बार लोग अपने पुराने वाहनों को सड़क पर छोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन यह छोटी सी लापरवाही पूरे शहर के लिए समस्या बन जाती है। बीएमसी का कहना है कि अगर नागरिक अपने वाहनों को समय पर हटा लें या उनकी मरम्मत करा लें, तो इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा सकते हैं, ताकि लोग इस मुद्दे को गंभीरता से लें।
इस योजना में तकनीक की भूमिका भी अहम होगी। आरटीओ डेटा के अलावा, बीएमसी ड्रोन और जीपीएस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर सकती है, ताकि परित्यक्त वाहनों की पहचान और निगरानी आसान हो। मुंबई जैसे बड़े शहर में, जहां हर दिन लाखों वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं, ऐसी तकनीकें समय और संसाधनों की बचत कर सकती हैं। भविष्य में, बीएमसी ऐसी योजनाओं को और विस्तार दे सकती है, जैसे कि परित्यक्त वाहनों को रीसाइकिल करने की सुविधा या उनकी स्क्रैपिंग के लिए विशेष केंद्र स्थापित करना।
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