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NCLT कर सकता है ED द्वारा जब्त की गई संपत्तियों को ज़ारी, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला

NCLT कर सकता है ED द्वारा जब्त की गई संपत्तियों को ज़ारी, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला
Credit: HindustanTimes
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर IBC 2016 के तहत शर्तें पूरी की जाती हैं, तो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जब्त की गई संपत्तियों को जारी कर सकता है।

 इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC), 2016 दिवालिया होने की कगार पर पहुंची कंपनियों को बचाने और उनके कर्ज़ों के पुनर्गठन के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत, NCLT को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं ताकि कंपनियों को फिर से खड़ा करने की प्रक्रिया में तेज़ी लाई जा सके।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक ताज़ा फैसले में कहा है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ऐसे मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा ज़ब्त की गई संपत्तियों को भी जारी कर सकता है, जिसमें Insolvency and Bankruptcy Code (IBC), 2016 के तहत शर्तें पूरी हों। इस मामले में, ED ने NCLT मुंबई के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें DSK सदर्न प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा खत्म करते हुए उसकी ₹32.51 करोड़ की संपत्ति की जब्ती हटाने का आदेश दिया गया था।

ED का तर्क था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत जब्ती के आदेश के खिलाफ अपील का प्रावधान है, इसलिए NCLT को यह आदेश नहीं देना चाहिए था। ED के अनुसार, NCLT को कंपनी के रिजॉल्यूशन प्लान के आवेदकों को PMLA के तहत अपील करने की सलाह देनी चाहिए थी।

हालांकि, हाई कोर्ट ने ED की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि IBC की धारा 31(1) के तहत NCLT के पास यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी है कि रिजॉल्यूशन प्लान का कार्यान्वयन प्रभावी तरीके से हो सके। कोर्ट ने ED को निर्देश दिया कि वह कंपनी की संपत्ति पर से जब्ती हटाए।

कोर्ट ने यह भी कहा कि रिजॉल्यूशन प्लान के बाद कंपनी के खिलाफ पहले से चल रहे आपराधिक मामलों को जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। IBC के तहत कंपनी को एक नई शुरुआत करने का मौका दिया जाता है।

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बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट है कि IBC के प्रावधानों के तहत NCLT को व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। इस फैसले से दिवालिया होने की स्थिति में पहुंची कंपनियों को बचाने में और मदद मिलेगी।

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