महाराष्ट्र

“बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ”: बदलापुर केस में हाई कोर्ट का बड़ा बयान!

"बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ": बदलापुर केस में हाई कोर्ट का बड़ा बयान!
बदलापुर यौन शोषण केस: बदलापुर यौन शोषण मामले ने पूरे महाराष्ट्र को हिला कर रख दिया है। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। आइए जानते हैं कि कोर्ट ने क्या-क्या कहा और इस केस में क्या नया मोड़ आया है।

जांच पर कोर्ट की नजर

बदलापुर यौन शोषण मामले में कोर्ट ने जांच की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। जस्टिस रेवती मोहिते-देरे और पृथ्वीराज के. चव्हाण की बेंच ने कहा कि जांच पूरी तरह से सही और बिना किसी समझौते के होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जांच को मजबूत, सही और बिना किसी समझौते के होना चाहिए।” कोर्ट ने यह भी कहा कि जल्दबाजी में कुछ गलत न हो जाए, इसका ध्यान रखना चाहिए।

फरार आरोपियों की तलाश

बदलापुर यौन शोषण मामले में कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई है। उन्होंने पूछा कि क्या इन आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया है। एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि आरोपियों को ढूंढने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और किसी को बचाया नहीं जा रहा है।

बच्चों की सुरक्षा पर जोर

बदलापुर यौन शोषण मामले के बाद बच्चों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। कोर्ट ने सुझाव दिया है कि रिटायर्ड जस्टिस साधना जाधव या शालिनी फणसलकर-जोशी की अध्यक्षता में एक राज्य-स्तरीय समिति बनाई जाए। यह समिति सभी बच्चों की सुरक्षा पर नजर रखेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि पूर्व IPS अधिकारी मीरान बोरवणकर को भी इस समिति में शामिल किया जा सकता है।

लड़कों की शिक्षा पर ध्यान

बदलापुर यौन शोषण मामले में कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि हमें लड़कों की शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ” का नारा देना चाहिए। इससे समाज में लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ेगी।

जांच में प्रगति

बदलापुर यौन शोषण मामले में जांच तेजी से चल रही है। एडवोकेट जनरल ने बताया कि विशेष जांच दल (SIT) ने टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (TIP) की है और फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) से मेडिकल सैंपल की रिपोर्ट मिल गई है। CCTV फुटेज और कॉल डेटा रिकॉर्ड्स (CDR) की जांच चल रही है। पीड़ितों के जन्म प्रमाण पत्र भी इकट्ठा कर लिए गए हैं।

बदलापुर यौन शोषण मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि निजी डॉक्टरों को बताया जाए कि वे FIR के बिना पीड़ितों की जांच करने से मना नहीं कर सकते। लड़कों के स्कूलों में महिला अटेंडेंट रखने की भी बात कही गई है। POCSO एक्ट के तहत बयान दर्ज करने के लिए सभी मजिस्ट्रेट के पास वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा होनी चाहिए।

बदलापुर यौन शोषण मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का सख्त रुख दिखा है। कोर्ट चाहता है कि जांच पूरी तरह से सही हो और दोषियों को सजा मिले। साथ ही, बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। यह मामला हमें बताता है कि समाज में बदलाव की जरूरत है और हमें अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा।

ये भी पढ़ें: बंगाल विधानसभा में पारित हुआ सख्त एंटी रेप विधेयक: अपराधियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान

#BadlapurCase #ChildSafety #JusticeForVictims #BombayHighCourt #ChildProtection

You may also like