Bombay High Court: त्योहारों का मतलब है रौनक, चमक-दमक, और ढेर सारी लाइट्स, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट का कुछ और ही कहना है। कोर्ट ने पेड़ों पर लाइट लगाने के चलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और महाराष्ट्र सरकार और कुछ नगर-निगमों से इस बारे में जवाब-तलब किया है।
दरअसल, रोहित मनोहर जोशी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस बारे में जनहित याचिका (PIL) डाल रखी है। उनका कहना है कि पेड़ों पर इतनी लाइट्स लगाने से पेड़ों को तो नुकसान होता ही है, साथ ही चिड़िया और दूसरे जीवों के लिए भी मुश्किल खड़ी हो जाती है।
याचिका में दिल्ली सरकार के एक पुराने सर्कुलर का हवाला भी दिया गया है, जहां पेड़ों को होने वाले नुकसान से बचाने पर ज़ोर दिया गया है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि महाराष्ट्र के एक कानून के मुताबिक, पेड़ को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी है। इसलिए, उनका मानना है कि पेड़ों पर तार और लाइट्स लगाना बंद होना चाहिए।
ऐसा लगता है कि पर्यावरण को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट काफ़ी गंभीर है। उनका तर्क है कि त्योहारों की खुशियां मनाते समय हमें पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का भी ख्याल रखना चाहिए।
कोर्ट ने सरकार और नगर-निगमों को इस पर जवाब देने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है। इसके साथ ही, जनता को इस मुद्दे के बारे में जागरूक करने के भी निर्देश दिए गए हैं। अब देखना यह है कि कोर्ट का फ़ैसला क्या आता है।
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