Law Students: मुंबई यूनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेजों में कानून के छात्रों के लिए 75% उपस्थिति के नियम को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मुंबई यूनिवर्सिटी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।
दरअसल ये मामला एक लॉ कॉलेज के फैकल्टी सदस्य द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सामने आया है। इस याचिका में तर्क दिया गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी 75% अनिवार्य उपस्थिति के नियम का व्यापक स्तर पर उल्लंघन हो रहा है, और इस नियम को तीन-वर्षीय और पांच-वर्षीय दोनों पाठ्यक्रमों के छात्रों पर लागू किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि कई छात्र विश्वविद्यालय के 75% उपस्थिति वाले नियम को पूरा नहीं कर पाते हैं। इसका मुख्य कारण छात्रों द्वारा लॉ फर्म में की जाने वाली इंटर्नशिप और पढ़ाई के साथ रोज़गार हैं। इसके साथ ही, लॉ कॉलेज और विश्वविद्यालय अधिकारी भी इस नियम को लागू करने में गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
उनका ये भी कहना है कि उन्होंने MU, BCI, और UGC को कई पत्र भेजकर इस लापरवाही पर चिंता जताई थी, लेकिन पर्याप्त कार्रवाई नहीं होने के कारण उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। ऐसा लगता है कि मुंबई यूनिवर्सिटी और इससे जुड़े कॉलेज उपस्थिति के नियम को लेकर उदासीन हैं। छात्रों का भी रवैया लापरवाह है, क्योंकि इस नियम के उल्लंघन पर किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है। इसी का फायदा उठाते हुए कई छात्र पढ़ाई के बजाय अपनी इंटर्नशिप या नौकरी को प्राथमिकता देते हैं।
जनहित याचिका में मांग की गई है कि मुंबई यूनिवर्सिटी उपस्थिति के नियम को सख्ती से लागू करें और इसे लगातार मॉनिटर करने के लिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जाए। अब बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 19 जून को करेगा।
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