बोम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे नगर निगम को काम में देरी करने पर लताड़ लगाईं है. संविधान का अनुच्छेद 21 के अनुसार प्रत्येक नागरिक को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकारों की धज्जियाँ उड़ाने वाले ठाणे नगर निगम को बोम्बे हाई कोर्ट ने 15 साल पहले नियोजित 100 बिस्तरों वाले अस्पताल को पूरा करने में ‘उदासीनता’ के लिए फटकार लगाईं है. बता दें कि मुंब्रा इलाके में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल को बनाने की योजना 15 साल पहले बनाई गई थी, लेकिन ठाणे नगर निगम ने अभी तक इस योजना का कार्य पूरा नहीं किया है जिसपर बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच ने कहा, ”आम जनता की स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित परियोजना के पूरा होने में इस तरह की उदासीनता का कोई कारण नहीं हो सकता.” अदालत ने कहा कि 2008 में इसे बनाने का संकल्प लेने के बावजूद अस्पताल को आज तक कार्यात्मक नहीं बनाया गया है. बेंच ने स्थिति का पता लगाने के लिए एक तीन सदस्यीय अदालत आयोग नियुक्त किया जिसमें एक चिकित्सा पेशेवर, एक योग्य सिविल इंजीनियर और एक वकील शामिल थे.
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) और अन्य की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक आदेश पारित किया, जिसमें नागरिक अस्पताल अधुरा होने के कारण स्थानीय निवासियों के नियादी मौलिक अधिकारों का हनन और सुविधाओं को कमी का आरोप लगाया था.