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महाराष्ट्र के बदलापुर एनकाउंटर पर बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 5 पुलिसकर्मियों को ठहराया गया आरोपी की मौत का दोषी

बदलापुर
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के बदलापुर में हुए एनकाउंटर मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में हुई मौत के लिए 5 पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इन पांचों पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की जाए। साथ ही, राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वो दो हफ्ते के भीतर ये जानकारी दे कि इस मामले की जांच कौन सी जांच एजेंसी करेगी।

कोर्ट का निर्णय
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच में ये साफ हुआ है कि एनकाउंटर के लिए पुलिस वैन में मौजूद पांच पुलिसकर्मी जिम्मेदार थे। मामला 12 अगस्त 2024 का है, जब बदलापुर में दो बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटना हुई थी। इस घटना का मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे था, जो 23 सितंबर को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।

इस एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट लगभग पांच महीने बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश की गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आरोपी अक्षय शिंदे, जो एक स्कूल में स्वीपर का काम करता था, को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था।

क्या है पूरा मामला?
बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। अन्ना शिंदे ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उनके बेटे को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मारा। अक्षय पर आरोप था कि उसने स्कूल के शौचालय में दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया। 17 अगस्त को उसे गिरफ्तार कर तलोजा जेल भेजा गया।

सितंबर में जब पुलिस उसे पूछताछ के लिए जेल से ले जा रही थी, तब शिंदे की कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई। पुलिस का दावा है कि शिंदे ने पुलिस वैन में एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली और गोली चला दी, जिसके बाद जवाबी गोलीबारी में वो मारा गया। हालांकि, मजिस्ट्रेट जांच में इस एनकाउंटर को संदिग्ध पाया गया।

आगे की कार्रवाई
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वो दो हफ्तों के भीतर ये स्पष्ट करे कि इन पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच कौन सी एजेंसी करेगी। ये मामला कानून व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता के महत्व को उजागर करता है।

इस घटना और कोर्ट के फैसले ने पुलिस की कार्रवाई और हिरासत में होने वाली मौतों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब ये देखना होगा कि राज्य सरकार और जांच एजेंसियां इस मामले में किस प्रकार न्याय सुनिश्चित करती हैं।

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