नई GST 2.0 की दरों में हुए बदलाव ने ऑटो इंडस्ट्री के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। देश की राजधानी दिल्ली में कई बड़े कार शोरूम अब खाली पड़े हैं। पुराने स्टॉक को बेचने मैनेजर को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और ग्राहकों को नए कर रेट के हिसाब से प्राइस समझाना भी चुनौती बन गया है। आगामी दिनों में त्योहारों को देखते हुए डीलरों ने कारों का बड़ा स्टॉक रखा था, लेकिन GST 2.0 में बदलाव की वजह से ग्राहकों ने खरीदारी टाल दी। ऐसे में कार के लिए ग्राहकों को डिस्काउंट देना भारी पड़ रहा है, जिससे अनुमान है कि कुल नुकसान लगभग 2,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
ग्राहक सोच रहे थे कि नई कर दरों के बाद कीमतें कम होंगी, लेकिन पुराने स्टॉक पर पहले के दरों का टैक्स पहले ही चुका दिया गया था। ऐसे में अब डीलरों के लिए ग्राहकों को डिस्काउंट देना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। ऐसे में FADA (Federation of Automobile Dealers Association) ने फाइनांस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण को लेटर के जरिये कहा कि डीलर बेहद चिंतित हैं। पुराने कम्पेन्सेशन सेस के क्रेडिट अब नई GST प्रणाली में काम नहीं आ रहे, जिससे वर्किंग कैपिटल पर दबाव बढ़ गया है।
दिल्ली-एनसीआर के Maruti Nexa और Hyundai के शोरूम में ग्राहक भारी डिस्काउंट की उम्मीद लेकर आ रहे हैं। लेकिन मैनेजर्स बताते हैं कि कार का निर्माण महीनों में होता है और GST कटौती का असर तुरंत प्राइस पर नहीं दिखता। कई डीलर पुराने स्टॉक के बिकने तक नए ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। दूसरी ओर Mahindra के शोरूम में हालात कुछ बेहतर हैं। उनके पास बड़े इंजन वाली कारें हैं, जिन पर GST कटौती इतनी तेज नहीं है। वहां कुछ ग्राहक खरीदारी कर रहे हैं, खासकर मुस्लिम और सिख परिवार, जबकि हिंदू ग्राहक ‘श्राद्ध’ अवधि के कारण खरीदारी टाल रहे हैं।
GST 2.0 के तहत छोटी कारें (पेट्रोल ≤1200 cc, डीज़ल ≤1500 cc) अब 18% GST स्लैब में आ गई हैं। बड़ी कारों पर 40% टैक्स स्लैब लागू होगा, जबकि पहले 28% + सेस था। ऑटो पार्ट्स अब 18% टैक्स स्लैब में आए हैं। GST 2.0 में बदलाव के बाद, जो कारें पहले के दरों पर खरीदी गई और स्टॉक में फंसी हैं, उनके सेस का समायोजन अभी जटिल मामला है। यह मुद्दा इंटर-मिनिस्टेरियल मीटिंग में भी उठाया गया।
अभी डीलर पुराने स्टॉक को बेचने की कोशिश कर रहे हैं और ग्राहक डिस्काउंट की मांग कर रहे हैं। GST 2.0 के संक्रमणकालीन मुद्दों ने ऑटो इंडस्ट्री में अस्थिरता पैदा कर दी है। अगले कुछ महीनों में ही स्पष्ट होगा कि यह बदलाव डीलरों के लिए राहत लेकर आएगा या नहीं।
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