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2026 से 2 बार होगी CBSE परीक्षा, छात्रों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का लाभ!

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से एक नया वैश्विक पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इस बदलाव के तहत बोर्ड साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित करने पर विचार कर रहा है, जिससे छात्रों को अपने अंक सुधारने का अतिरिक्त अवसर मिलेगा। ये पाठ्यक्रम मुख्य रूप से विदेशी छात्रों को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है, ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा का लाभ मिल सके।

ये पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जो शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार लाने की योजना का हिस्सा है। नए पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों को अधिक लचीली और प्रतिस्पर्धी शिक्षा मिलेगी, जिससे वे वैश्विक स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।

गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब CBSE ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा की दिशा में कदम बढ़ाया है। 2010 में CBSE ने विदेशों में रहने वाले भारतीय छात्रों के लिए CBSE इंटरनेशनल (CBSE-i) पाठ्यक्रम पेश किया था। ये पाठ्यक्रम राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के दिशा-निर्देशों पर आधारित था। इसमें वैश्विक दृष्टिकोण को शामिल किया गया था, लेकिन भारतीय विषयों को भी बनाए रखा गया।

CBSE-i पाठ्यक्रम को कई चरणों में लागू किया गया। शुरुआत में इसे मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के 25 स्कूलों में कक्षा 1 से 9 तक पायलट प्रोग्राम के रूप में शुरू किया गया था। बाद में इसे अधिक इंटरनेशनल स्कूलों और कुछ भारतीय संस्थानों तक विस्तारित किया गया।

CBSE-i पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों में आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच विकसित करना था। यह रिसर्च और प्रभावी संचार पर भी जोर देता था। इस पाठ्यक्रम में भाषाएं, प्रदर्शन कला, दृश्य कला, शोध प्रोजेक्ट, विज्ञान, गणित, शारीरिक शिक्षा, सामाजिक विज्ञान और जीवन कौशल जैसे कई विषय शामिल किए गए थे। ये विषय मुख्य और वैकल्पिक दोनों रूपों में उपलब्ध थे, जिससे छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता था।

अब 2026-27 से CBSE एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। यह बदलाव छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा और उन्हें अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने का मौका देगा। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नया पाठ्यक्रम छात्रों और शिक्षकों के लिए कितना लाभदायक साबित होता है।

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