सेंट्रल हॉल, भारत के संसद भवन का प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक स्थल, एक ऐसा स्थान है जहां समय-समय पर महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाएं घटित होती रही हैं। 98 फीट व्यास वाले इस गुंबद से घिरे गोलाकार हॉल ने 1927 में अपनी स्थापना के बाद से कई ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी बना है।
मोदी का संबोधन और सेंट्रल हॉल का महत्व
7 जून, 2024 को, 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के तीन दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संसदीय दल का नेता चुना गया। यह महत्वपूर्ण बैठक सेंट्रल हॉल में हुई, जहां मोदी ने अपने संबोधन में गठबंधन की भावी योजनाओं और रणनीतियों पर जोर दिया। सेंट्रल हॉल का यह आयोजन दर्शाता है कि इस स्थल का भारतीय राजनीति में कितना महत्वपूर्ण स्थान है।
सेंट्रल हॉल का इतिहास
सेंट्रल हॉल का इतिहास गहरा और समृद्ध है। इसकी स्थापना के समय इसे विधानमंडल के सदस्यों के लिए लाइब्रेरी के रूप में उपयोग किया जाता था। लेकिन 1946 में जब संविधान सभा को स्वतंत्र भारत के संविधान पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठक करनी थी, तब इसे संविधान सभा हॉल में बदल दिया गया। 1946 से 1949 तक, संविधान सभा की महत्वपूर्ण बैठकें यहीं पर हुईं और भारत के संविधान की रचना हुई।
सेंट्रल हॉल के अन्य उपयोग
सेंट्रल हॉल का इस्तेमाल विभिन्न औपचारिक अवसरों के लिए किया गया है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को राष्ट्रपति का वार्षिक संबोधन, राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह, और राष्ट्रपति की विदाई शामिल हैं। इसके अलावा, उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार समारोह और दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों के संबोधन भी इसी स्थल पर होते रहे हैं।
महत्वपूर्ण कार्यक्रम और व्याख्यान
सेंट्रल हॉल ने विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और व्याख्यानों की मेजबानी भी की है। 14वीं लोकसभा (2004-2009) के कार्यकाल के दौरान, तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन जैसे शिक्षाविदों द्वारा सेंट्रल हॉल में व्याख्यान आयोजित किए थे। इसके अलावा, महिला विधायकों के राष्ट्रीय सम्मेलन, लोक लेखा समिति के शताब्दी समारोह, और संसद सचिवालय द्वारा आयोजित छात्र कार्यक्रम भी यहीं पर आयोजित किए गए।
पुराने संसद भवन की वर्तमान स्थिति
पुराना संसद भवन, जहां सेंट्रल हॉल स्थित है, अब सत्र आयोजित करने के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है। लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें नए भवन में होती हैं। हालांकि, संसद सचिवालय के कुछ कार्यालय अभी भी पुराने भवन से संचालित होते हैं।
राजनीतिक दलों के लिए सेंट्रल हॉल का उपयोग
राजनीतिक दल और गठबंधन अपने निजी कार्यक्रमों के लिए संसद भवन परिसर का उपयोग कर सकते हैं। मई 2014 में, लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद, नरेंद्र मोदी को सेंट्रल हॉल में आयोजित एक बैठक में भाजपा संसदीय दल का नेता चुना गया था। इस बार फिर, 2024 में, उन्होंने सेंट्रल हॉल में एनडीए संसदीय दल का नेता बनकर इस स्थल की ऐतिहासिकता को और बढ़ाया।
सेंट्रल हॉल, अपने ऐतिहासिक महत्व और राजनीतिक घटनाओं के केंद्र में होने के कारण, भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थान न केवल भारत के संवैधानिक इतिहास का प्रतीक है, बल्कि यहां होने वाले महत्वपूर्ण निर्णय और घटनाएं देश की दिशा को प्रभावित करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एनडीए को संबोधित करना और सेंट्रल हॉल का यह आयोजन एक बार फिर से इस स्थल के महत्व को रेखांकित करता है।