सरकारी दफ्तर हैं, और थोड़ी-बहुत “सेटिंग” तो चलती ही है! पर नवी मुंबई के CGST ऑफिस में तो लगता है “मिठाई” के बिना कोई काम ही नहीं होता था। हाल ही में, असिस्टेंट कमिश्नर सुहास सी. भालेराव और उनके वफादार इंस्पेक्टर शुभम दास मोहापात्रा का कारनामा ऐसा सामने आया कि CBI को बीच में कूदना पड़ा!
कहानी कुछ यूँ है कि एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक को CGST बेलापुर कमिश्नरेट की तरफ से एक कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया। खैर, ट्रांसपोर्ट कंपनी वाले भी कोई दूध के धुले तो होते नहीं। थोड़ी बहुत हेरा-फेरी तो इनके काम में भी होती ही है। पर इस बार कमिश्नर साहब की टेढ़ी नज़र पड़ गई थी। सीधे तो नहीं बोले, पर इशारों-इशारों में पहले 6 लाख रुपये की मोटी रकम माँग ली इस नोटिस को रद्द करने के लिए!
अब इतने पैसे कहाँ से लाता बिचारा ट्रांसपोर्ट वाला? थोड़ा गिड़गिड़ाया, कुछ भाव-ताव किया, और फिर डेढ़ लाख में मामला “निपट” गया। पर कमिश्नर साहब भी चालाक थे। सोचा सीधे हाथ में रिश्वत ली तो फंस जाएंगे। इसलिए अपने प्यारे इंस्पेक्टर मोहापात्रा को इस काम के लिए आगे कर दिया।
पर ट्रांसपोर्ट वाले ने भी दिमाग की बत्ती जलाई। भई, डेढ़ लाख भी कहाँ कम हैं? सीधे CBI के पास जा पहुँचा बेचारा और सारा खेल बता दिया! CBI वालों ने भी मौका देखा और जाल बिछा दिया। जैसे ही इंस्पेक्टर साहब ने कमिश्नर के लिए रिश्वत की रकम गिनी, CBI ने धावा बोल दिया! रंगे हाथों पकड़े गए इंस्पेक्टर साहब, और कमिश्नर साहब का भी रंग उड़ गया।
अब आगे क्या होता है, देखते हैं! इन्हें समझना चाहिए था – देश के टैक्स का पैसा ऐसे ऐश के लिए नहीं होता!