केंद्र सरकार ने पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल तय की है। महाराष्ट्र में अभी तक कई स्कूल इस नियम का पालन नहीं करते हैं, जिससे इस साल दाख़िला लेने वाले छात्रों और अभिभावकों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
भारत में स्कूलों में प्रवेश के लिए उम्र को लेकर अक्सर बहस होती रही है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए शिक्षाविद् छह साल को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए सही उम्र मानते हैं।
केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि 2024-25 के शैक्षणिक सत्र से पहली कक्षा में प्रवेश लेने वाले बच्चों की न्यूनतम उम्र छह साल होनी चाहिए। शिक्षा मंत्रालय ने 15 फरवरी, 2024 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर इस नियम को सख्ती से लागू करने के लिए कहा है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 और राइट टू एजुकेशन एक्ट (RTE), 2009 को ध्यान में रखते हुए पहली कक्षा में प्रवेश की न्यूनतम उम्र छह साल तय की गई है।
NEP 2020 के अनुसार प्री-प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक पांच साल का फाउंडेशनल स्टेज होता है। महाराष्ट्र में नर्सरी में प्रवेश के लिए बच्चे की उम्र 31 दिसंबर तक साढ़े तीन साल या उससे कम होनी चाहिए। बहुत से बच्चे ढाई साल की उम्र में ही नर्सरी में प्रवेश ले लेते हैं, जो एनईपी की सिफारिशों के खिलाफ है।
अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन (ECA) सालों से इस मामले को महाराष्ट्र सरकार के सामने उठा रहा है। ECA की अध्यक्ष स्वाति पोपट वत्स के अनुसार पहली कक्षा में प्रवेश के लिए उम्र का बहुत महत्व है। अगर सही उम्र में बच्चे पहली कक्षा में नहीं जाएंगे तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से नहीं हो पाएगा।
स्कूलों का कहना है कि अगर सरकार अचानक से इस नियम को इस साल से लागू करती है, तो बहुत से बच्चों को दोबारा केजी में पढ़ना पड़ सकता है, जिससे अभिभावकों में नाराज़गी फैलेगी। इस वजह से स्कूलों में दाख़िले कम हो जाएंगे। स्कूलों ने मांग की है कि सरकार केंद्र से इस नियम में थोड़ी ढील देने का अनुरोध करे।
महाराष्ट्र के शिक्षा आयुक्त सूरज मंधारे ने कहा है कि उन्हें इस मामले की जानकारी है और वह केंद्र सरकार के नोटिस का इंतज़ार कर रहे हैं। गोवा सरकार ने भी केंद्र से इस नियम में ढील देने के लिए कहा है।
महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में अभी भी पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल नहीं है। केंद्र सरकार चाहती है कि देश के सभी राज्यों के स्कूल इस नियम का पालन करें।
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उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और स्कूल मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे, ताकि छात्रों के भविष्य पर इसका बुरा असर न पड़े। अभिभावकों को भी चाहिए कि वे स्कूलों के साथ मिलकर काम करें और अपने बच्चों को सही उम्र में ही स्कूल भेजें।