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अदाणी साम्राज्य पर चीनी छाया का खुलासा: क्या हिंडनबर्ग रिपोर्ट थी ड्रैगन की चाल? जेठमलानी के चौंकाने वाले दावों ने मचाई खलबली!

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भारतीय व्यापार जगत और राजनीति में एक नया तूफान आ गया है। प्रसिद्ध वकील महेश जेठमलानी ने अदाणी समूह के खिलाफ जारी की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने इस पूरे मामले में चीन के संभावित हाथ की ओर इशारा किया है, जिसने सभी को चौंका दिया है। आइए इस पूरे प्रकरण को विस्तार से समझें।

महेश जेठमलानी ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है कि अदाणी समूह के खिलाफ जारी की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट वास्तव में चीन की ओर से बदला लेने का एक तरीका था। उनका मानना है कि चीन इसलिए नाराज था क्योंकि अदाणी समूह ने हाइफा पोर्ट जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को अपने हाथ में ले लिया था, जो पहले चीन के नियंत्रण में थे। यह दावा ऐसे समय में आया है जब पूरा देश हिंडनबर्ग रिपोर्ट और उसके प्रभावों पर चर्चा कर रहा है।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट, जो जनवरी 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा प्रकाशित की गई थी, ने अदाणी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इस रिपोर्ट ने भारतीय शेयर बाजार में हलचल मचा दी थी और अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। हालांकि, अदाणी समूह ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया था।

जेठमलानी ने एक और चौंकाने वाला दावा किया है। उनका कहना है कि जो नेता ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ का मुद्दा उठा रहे हैं, उनके चीन के साथ संबंधों की भी जांच होनी चाहिए। उनका तर्क है कि इन नेताओं का चीन के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव भारत के छोटे निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। यह बयान राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा सकता है।

वकील ने यहां तक कहा कि एक चीनी लॉबिस्ट ने अदाणी समूह के शेयरों की शॉर्ट सेलिंग से भारी मुनाफा कमाया है। उनके अनुसार, इस लॉबिस्ट ने हिंडनबर्ग को अदाणी समूह पर शोध करने के लिए काम पर रखा था और फिर अदाणी के शेयरों की शॉर्ट सेलिंग के माध्यम से चीन को लाभ पहुंचाया गया। यह आरोप, अगर सही साबित होता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राजनीति में एक बड़ा खुलासा हो सकता है।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई को हिंडनबर्ग मामले में अपने पिछले फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में विशेष जांच दल (SIT) की जांच की आवश्यकता नहीं है। यह फैसला इस पूरे मामले को एक नया मोड़ दे सकता है।

जेठमलानी के इन आरोपों ने अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद को एक नया आयाम दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या वास्तव में अदाणी समूह के खिलाफ इस रिपोर्ट के पीछे चीन का हाथ था? या यह सिर्फ एक राजनीतिक खेल है?

इस पूरे प्रकरण ने भारतीय व्यापार जगत और राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। कई लोग सोच रहे हैं कि क्या यह आरोप सच हैं या फिर यह किसी बड़ी राजनीतिक चाल का हिस्सा है। इस मामले में सच्चाई का पता लगाना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका प्रभाव न सिर्फ अदाणी समूह पर, बल्कि पूरे भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

अंत में, यह कहना उचित होगा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अगर जेठमलानी के आरोप सही निकलते हैं, तो यह भारत की आर्थिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। वहीं अगर ये आरोप गलत निकलते हैं, तो यह देश की राजनीतिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करेगा। जो भी हो, इस मामले का निष्कर्ष भारत के आर्थिक और राजनीतिक भविष्य को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।

अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आगे क्या होगा। क्या सरकार जेठमलानी के इन आरोपों पर गौर करेगी? क्या चीनी कनेक्शन की जांच होगी? क्या अदाणी समूह इन नए आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया देगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे, लेकिन एक बात तय है कि यह मामला अभी और गरमाने वाला है।

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