हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं ने राज्य में तबाही मचा दी है। 31 जुलाई की रात को कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में बादल फटने से कई लोग मारे गए और अनेक लोग लापता हैं। इस आपदा के दौरान कई दिल दहला देने वाले दृश्य देखने को मिले, जिनमें से एक मां और उसकी दूधमुंही बच्ची का शव भी शामिल है।
मां-बेटी का शव और तबाही का मंजर
मंडी जिले के राजबन में 23 साल की सोनम का शव जब मलबे से निकाला गया, तो वह अपनी तीन महीने की बच्ची के साथ लिपटी हुई थी। इस दृश्य ने सभी को रुला दिया। सोनम और उसकी बेटी मानवी का शव उसी बिस्तर पर मिला जिस पर वे आपदा की रात सोई थीं। सोनम के पति राम सिंह भी इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।
समेज गांव की हालत
शिमला जिले के रामपुर उपखंड का समेज गांव इस आपदा में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। गांव में पहले हरे-भरे खेत और मकान थे, लेकिन अब वहां सिर्फ मलबा और तबाही का मंजर है। अनीता नाम की एक महिला का घर इस आपदा में बच गया क्योंकि वह ऊंचाई पर था। अनीता ने बताया कि रात को एक धमाके से उनका पूरा घर हिल गया और बाहर निकलकर देखा तो पूरा गांव बह गया था।
स्कूल और बच्चों का नुकसान
समेज गांव में बादल फटने से एक माध्यमिक विद्यालय की इमारत बह गई, जिसमें 12 से 18 साल के छह छात्र लापता हो गए। यह घटना श्रीखंड महादेव के पास बादल फटने के एक दिन बाद हुई। इस आपदा ने समेज, गानवी और कुर्बन क्षेत्रों में भारी नुकसान पहुंचाया।
राहत और बचाव कार्य
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने समेज गांव का दौरा किया और पीड़ितों के लिए राहत की घोषणा की। उन्होंने प्रभावित परिवारों को 50,000 रुपये की तत्काल राहत और अगले तीन महीनों के लिए 5,000 रुपये मासिक किराए के रूप में देने का वादा किया। साथ ही गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी प्रदान की जाएंगी। राज्य में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं और खोजी कुत्तों, ड्रोन और अन्य उपकरणों की मदद से लापता लोगों की तलाश की जा रही है।
आक्रोश और निराशा
लोगों में आक्रोश और निराशा का माहौल है। वे अपने खोए हुए प्रियजनों की तलाश में हर सुबह मलबे के बीच पहुंचते हैं। उन्हें उम्मीद है कि कोई न कोई जिंदा बचा होगा। इस आपदा ने राज्य में गहरा दुख और मातम फैला दिया है।