मुंबई में बिजली मीटर को लेकर घमासान मचा हुआ है। केंद्र सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया है, यानी पहले बिजली इस्तेमाल करो, बाद में पैसे भरो वाली व्यवस्था खत्म हो जाएगी। मगर उपभोक्ताओं का कहना है कि इससे उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी, इसीलिए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
मुंबई की पूर्व महापौर, निर्मला प्रभावलकर, ने हाईकोर्ट में एक याचिका (PIL) दायर की है। इस याचिका में स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर को अनिवार्य करने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने जो अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी की है, वो उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करती है। साथ ही, उनका ये भी कहना है कि ये फैसला बिना किसी सार्वजनिक सूचना या जानकारी के, मनमाने तरीके से लागू किया जा रहा है।
अभी तक हमारे पास जो पोस्टपेड मीटर हैं उनमें पहले बिजली इस्तेमाल करो, फिर बिल आने पर पैसे भरो की सुविधा मिलती है। वहीं प्रीपेड मीटर में ये नहीं होगा। इसमें पहले अकाउंट में पैसे डालने होंगे, जैसे मोबाइल रिचार्ज होता है, तभी बिजली मिलेगी। याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि आम नागरिकों के लिए ये बहुत मुश्किल होगा, खासकर गरीब तबके के, स्लम में रहने वाले लोग इससे बहुत परेशान होंगे।
याचिका में ये भी कहा गया है कि सीनियर सिटीज़ंस को ऑनलाइन पेमेंट की आदत नहीं है और कई बार ऑनलाइन फ्रॉड के मामले भी सामने आते हैं।
याचिकाकर्ताओं की मांग है कि केंद्र सरकार की नोटिफिकेशन रद्द की जाए और उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का अधिकार मिले।