controversy of L2 Empuraan: हाल ही में मलयालम फिल्म ‘एल2: एम्पुरान’ को लेकर एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। यह फिल्म अभी-अभी रिलीज हुई है, लेकिन इसके कुछ दृश्यों और कहानी ने लोगों का ध्यान खींच लिया है। खास तौर पर गुजरात दंगों का अप्रत्यक्ष जिक्र इस विवाद की वजह बना है। इसी बीच, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फिल्म के प्रोड्यूसर गोकुलम गोपालन के घर और दफ्तरों पर छापेमारी की, जिसने इस मामले को और गर्म कर दिया। आइए, इस पूरी कहानी को आसान भाषा में समझते हैं कि क्या हो रहा है और यह नई पीढ़ी के लिए क्यों खास है।
‘एल2: एम्पुरान’ फिल्म सुपरस्टार मोहनलाल और पृथ्वीराज की मशहूर फिल्म ‘लूसिफर’ का दूसरा हिस्सा है। इस फिल्म में दक्षिणपंथी राजनीति पर टिप्पणी और गुजरात दंगों का जिक्र (mention of Gujarat riots) होने की बात सामने आई है। जैसे ही यह खबर फैली, कई संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। लोगों का कहना है कि फिल्म में कुछ सीन ऐसे हैं, जो एक खास समुदाय को निशाना बनाते हैं। इस वजह से सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक हंगामा मच गया। मोहनलाल को भी सामने आना पड़ा और उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि फिल्म से विवादित हिस्से हटा दिए जाएंगे। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
शुक्रवार की सुबह ईडी की टीम ने गोकुलम गोपालन के चेन्नई और कोच्चि में मौजूद घरों और दफ्तरों पर छापे मारे। गोकुलम गोपालन इस फिल्म के मुख्य निर्माताओं में से एक हैं। ईडी का कहना है कि यह छापेमारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन से जुड़ी है। सूत्रों के मुताबिक, गोपालन की कंपनी श्री गोकुलम चिट एंड फाइनेंस में कुछ संदिग्ध लेन-देन पकड़े गए हैं। इनमें गैर-निवासी भारतीयों (एनआरआई) से जुड़े पैसे भी शामिल हो सकते हैं। कुछ रिपोर्ट्स तो यह भी कह रही हैं कि यह मामला 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के फेमा उल्लंघन से जुड़ा हो सकता है। हालांकि, ईडी ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
गोकुलम गोपालन एक बड़े बिजनेसमैन हैं। उनकी कंपनी वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसे कई क्षेत्रों में काम करती है। लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब वह जांच के घेरे में आए हों। पहले भी उनकी कंपनी पर कर चोरी और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लग चुके हैं। इस बार फिल्म ‘एल2: एम्पुरान’ के विवाद (controversy of L2 Empuraan) और ईडी की छापेमारी ने सबका ध्यान खींच लिया है। नई पीढ़ी के लिए यह इसलिए रोचक है, क्योंकि आज का युवा फिल्मों के जरिए समाज और राजनीति को समझना चाहता है। लेकिन जब ऐसी फिल्में विवाद में फंसती हैं, तो कई सवाल उठने लगते हैं।
इस फिल्म को लेकर एक और ट्विस्ट तब आया, जब केरल हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई। त्रिशूर के रहने वाले वी वी विजेश नाम के शख्स ने कोर्ट से फिल्म पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना था कि फिल्म से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है और शांति भंग हो सकती है। लेकिन कोर्ट ने इस पर कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया। जज ने सवाल उठाया कि जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को मंजूरी दे दी है, तो फिर दिक्कत क्या है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका शायद प्रचार के लिए दायर की गई हो। अब इस मामले की सुनवाई छुट्टियों के बाद होगी।
फिल्म के प्रदर्शन के दौरान भी कई जगहों पर विरोध देखने को मिला। कुछ संगठनों ने इसे हिंदू विरोधी बताया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक एजेंडे से जोड़ा। लेकिन केरल सरकार ने साफ किया कि राज्य में फिल्म के खिलाफ कोई कानूनी शिकायत दर्ज नहीं हुई है। दूसरी ओर, मेकर्स का कहना है कि उनका मकसद किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था। फिर भी, गुजरात दंगों का जिक्र (mention of Gujarat riots) और दक्षिणपंथी राजनीति की आलोचना ने इसे सियासी अखाड़ा बना दिया है।
यह पूरा मामला नई पीढ़ी के लिए एक बड़ा सबक भी है। आज के दौर में फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज का आईना भी बनती हैं। ‘एल2: एम्पुरान’ ने दिखाया कि कैसे एक कहानी लोगों को जोड़ भी सकती है और बांट भी सकती है। ईडी की छापेमारी और कोर्ट का फैसला इस कहानी में नए मोड़ ला रहा है। गोकुलम गोपालन के कारोबार और फिल्म की कहानी के बीच क्या कोई कनेक्शन है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि यह विवाद अभी खत्म होने वाला नहीं है।
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