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Ullu App: महाराष्ट्र महिला आयोग की मांग, उल्लू ऐप के हाउस अरेस्ट में अश्लील कंटेंट पर रोक

Ullu App: महाराष्ट्र महिला आयोग की मांग, उल्लू ऐप के हाउस अरेस्ट में अश्लील कंटेंट पर रोक

Ullu App: डिजिटल मनोरंजन की चकाचौंध भरी दुनिया में, जहां हर दिन नई वेब सीरीज और शो दर्शकों के लिए पेश किए जाते हैं, एक नया विवाद सुर्खियों में है। मुंबई में, महाराष्ट्र महिला आयोग (Maharashtra Women Commission) ने उल्लू ऐप जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद अश्लील सामग्री के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। खास तौर पर, उल्लू ऐप की वेब सीरीज हाउस अरेस्ट (House Arrest) पर आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर तीखी आलोचना हो रही है। यह मुद्दा न केवल मनोरंजन की सीमाओं को लेकर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी बताता है कि समाज पर डिजिटल कंटेंट का कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आइए, इस पूरी कहानी को करीब से समझते हैं।

11 अप्रैल 2025 से उल्लू ऐप पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज हाउस अरेस्ट (House Arrest) ने अपनी शुरुआत से ही ध्यान खींचा, लेकिन गलत कारणों से। इस रियलिटी शो को बिग बॉस और लॉक अप जैसे शोज का एक बिना सेंसर वाला संस्करण बताया गया। शो में 12 प्रतिभागी, जिनमें नौ महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं, एक आलीशान विला में एक साथ रहते हैं और विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हैं। लेकिन 29 अप्रैल को शो का एक छोटा सा वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने इसकी सारी चर्चा को विवाद में बदल दिया।

इस क्लिप में शो के होस्ट, अभिनेता एजाज खान, महिला प्रतिभागियों को आपत्तिजनक और अंतरंग दृश्यों को कैमरे पर करने के लिए दबाव डालते नजर आए। कई प्रतिभागियों ने असहजता जताई और इन दृश्यों को करने से इनकार किया, फिर भी उनसे कपड़े उतारने और अश्लील हरकतें करने को कहा गया। इस क्लिप ने सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया उकसाई, और लोग इसे अश्लील कंटेंट (Obscene Content) का खुला प्रदर्शन बताने लगे। यह क्लिप न केवल दर्शकों के लिए परेशान करने वाली थी, बल्कि इसने महिलाओं की गरिमा और सहमति के उल्लंघन जैसे गंभीर मुद्दों को भी सामने लाया।

महाराष्ट्र महिला आयोग (Maharashtra Women Commission) ने इस मामले को गंभीरता से लिया। आयोग की अध्यक्ष, रूपाली चकनकर, ने बताया कि उन्हें हाउस अरेस्ट (House Arrest) के बारे में कई शिकायतें मिली थीं। इन शिकायतों में कहा गया कि शो में अश्लील सवाल पूछे जा रहे हैं और प्रतिभागियों को आपत्तिजनक हरकतें करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। चकनकर ने इस तरह के कंटेंट को न केवल समाज के लिए हानिकारक बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह युवा दिमागों पर बुरा असर डालता है।

आयोग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) को पत्र लिखा। पत्र में अश्लील कंटेंट (Obscene Content) को हटाने और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई। पिछले हफ्ते, राज्य सरकार ने DGP कार्यालय को निर्देश दिया कि हाउस अरेस्ट (House Arrest) के ऑडियो और वीडियो कंटेंट की जांच की जाए और उल्लू ऐप के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। इसके परिणामस्वरूप, मुंबई की अंबोली पुलिस ने अभिनेता एजाज खान, निर्माता राजकुमार पांडे और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), और महिलाओं के अशोभनीय चित्रण (निषेध) अधिनियम के तहत एक FIR दर्ज की।

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। आयोग की अध्यक्ष, विजया राहटकर, ने शो के कंटेंट को “गहरा परेशान करने वाला” बताया और कहा कि यह महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन करता है। उन्होंने इस तरह के कंटेंट को मनोरंजन के नाम पर यौन उत्पीड़न को बढ़ावा देने वाला करार दिया। NCW ने उल्लू ऐप के सीईओ, विभु अग्रवाल, और शो के होस्ट, एजाज खान, को 9 मई 2025 को आयोग के सामने पेश होने का समन जारी किया।

NCW ने अपने बयान में कहा कि अगर ये आरोप सही पाए गए, तो यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत गंभीर दंडनीय अपराध होंगे। आयोग ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की, जहां उन्होंने लिखा, “वायरल क्लिप में महिलाओं को कैमरे पर अंतरंग हरकतें करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। NCW इस तरह की अश्लीलता को बढ़ावा देने और सहमति का उल्लंघन करने के लिए प्लेटफॉर्म की कड़ी निंदा करता है।” इस बयान ने पूरे देश में इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया।

विवाद बढ़ने के बाद, उल्लू ऐप ने हाउस अरेस्ट (House Arrest) के सभी एपिसोड्स को अपनी वेबसाइट और ऐप से हटा लिया। 2 मई 2025 को, शो को प्लेटफॉर्म पर खोजने की कोशिश करने पर कोई नतीजा नहीं मिला। इसके अलावा, उल्लू ने बजरंग दल को एक औपचारिक माफी पत्र भी जारी किया, जिसमें विवाद के लिए खेद जताया गया। हालांकि, न तो एजाज खान और न ही शो के निर्माताओं ने इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान दिया है।

शो की एक प्रतिभागी, गहना वशिष्ठ, ने सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई को पाखंड करार दिया। उन्होंने कहा कि लोग निजी तौर पर इस तरह का कंटेंट देखते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से इसका विरोध करते हैं। उनकी इस टिप्पणी ने और विवाद को हवा दी, लेकिन जनता का गुस्सा कम नहीं हुआ। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने उल्लू ऐप को “सॉफ्ट पॉर्न” को बढ़ावा देने वाला बताया और इस तरह के कंटेंट पर सख्त सेंसरशिप की मांग की।

इस विवाद ने न केवल सामाजिक, बल्कि राजनैतिक हलकों में भी हलचल मचाई। बीजेपी की विधायक चित्रा वाघ ने हाउस अरेस्ट (House Arrest) पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने इसे “अश्लीलता का चरम” बताया और कहा कि यह समाज, खासकर बच्चों, के लिए हानिकारक है। वाघ ने सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस तरह के मोबाइल ऐप्स पर सख्त कार्रवाई करने की अपील की। उनकी इस मांग को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला, जहां लोग इस तरह के कंटेंट को सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ बताने लगे।

शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मुद्दे को संसद की स्थायी समिति में उठाया। उन्होंने पूछा कि उल्लू और ऑल्ट बालाजी जैसे ऐप्स पिछले साल 18 OTT प्लेटफॉर्म्स पर लगे प्रतिबंध से कैसे बच गए। उनकी इस टिप्पणी ने सरकार पर दबाव बढ़ाया कि वह डिजिटल कंटेंट के नियमन के लिए और सख्त कदम उठाए।

अश्लील कंटेंट (Obscene Content) को लेकर यह विवाद OTT प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप के पुराने सवाल को फिर से सामने लाया है। भारत में टेलीविजन और फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड की सख्त नीतियां हैं, लेकिन OTT प्लेटफॉर्म्स पर कोई स्पष्ट नियमन नहीं है। सस्ते इंटरनेट और स्मार्टफोन्स की आसान पहुंच ने इन प्लेटफॉर्म्स को हर उम्र के लोगों तक पहुंचा दिया है। उल्लू जैसे ऐप्स, जो सस्ते मासिक और वार्षिक सब्सक्रिप्शन प्रदान करते हैं, बिना किसी आयु सत्यापन के कंटेंट उपलब्ध कराते हैं। इससे बच्चे और किशोर भी आसानी से इस तरह का कंटेंट देख सकते हैं, जो उनकी मानसिक सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

पिछले साल, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 18 OTT प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री के लिए प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उल्लू और कुछ अन्य बड़े ऐप्स इस कार्रवाई से बच गए। इसने कई सवाल उठाए कि क्या सरकार इस मामले में चुनिंदा कार्रवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री को “महत्वपूर्ण चिंता” बताया और कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स की सामाजिक जिम्मेदारी है कि वे नैतिक और कानूनी सीमाओं का पालन करें।

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