Aarey Colony Murder: मुंबई, वह शहर जो सपनों का पीछा करने वालों का घर है, कभी-कभी अपराध की काली छाया में भी डूब जाता है। 3 मई 2025 की शाम, जब सूरज ढल रहा था, गोरेगांव के आरे कॉलोनी में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया। आरे कॉलोनी के यूनिट 32 में एक अवैध झोपड़ी के निर्माण को लेकर हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, और इस झड़प में एक युवक, फुरखान, को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस मुंबई क्राइम (Mumbai Crime) की कहानी में मुख्य आरोपी है जोहारुद्दीन, जिसे लोग बड़ा कालू (Bada Kalu) के नाम से जानते हैं। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह आरे कॉलोनी में अवैध निर्माण और आपराधिक गतिविधियों की गहरी जड़ों को भी उजागर करती है।
आरे कॉलोनी, मुंबई का वह हरा-भरा इलाका जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लंबे समय से अवैध झोपड़ियों के निर्माण का केंद्र रहा है। यूनिट 32 में यह समस्या और भी गहरी है, जहां स्थानीय गुंडे और समूह आपस में वर्चस्व की लड़ाई लड़ते हैं। शनिवार की शाम, फुरखान और उसके साथियों ने एक नई झोपड़ी बनाने की कोशिश की। यह बात बड़ा कालू को नागवार गुजरी, जो इस इलाके में अवैध झोपड़ियां बनाकर बेचने का धंधा चलाता है। पुलिस के अनुसार, बड़ा कालू को यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि कोई और उसके इलाके में झोपड़ी बनाए। उसका गुस्सा हिंसा में बदल गया, और उसने फुरखान पर एक नुकीले हथियार से हमला कर दिया। इस हमले में फुरखान की जान चली गई, जबकि बड़ा कालू खुद भी घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
इस घटना ने न केवल एक परिवार को सदमे में डाल दिया, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि आरे कॉलोनी में अवैध झोपड़ी विवाद (Unauthorized Huts Conflict) इतना हिंसक क्यों हो रहा है। यह पहली बार नहीं है जब इस इलाके में ऐसी घटना हुई हो। कुछ महीने पहले भी, एक अन्य झोपड़ी विवाद में 60 वर्षीय व्यक्ति की जान चली गई थी। इन घटनाओं से साफ है कि आरे कॉलोनी में अवैध निर्माण न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए जानलेवा खतरा भी बन रहा है।
जोहारुद्दीन, जिसे बड़ा कालू के नाम से जाना जाता है, आरे कॉलोनी के यूनिट 32 का एक कुख्यात नाम है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उसके खिलाफ चोरी, मारपीट, हत्या का प्रयास, उगाही और आतंक फैलाने जैसे 35 से अधिक मामले दर्ज हैं। वह अवैध झोपड़ियां बनाकर उन्हें बेचता है, जिससे इलाके में उसका दबदबा बना हुआ है। उसका परिवार भी स्थानीय लोगों में डर पैदा करता है। दो महीने पहले ही वह निर्वासन की सजा काटकर लौटा था, लेकिन उसकी आपराधिक गतिविधियां रुकी नहीं। इस बार, जब उसे लगा कि फुरखान और उसके साथी उसके धंधे में दखल दे रहे हैं, उसने हिंसक रास्ता चुना।
पुलिस ने बताया कि बड़ा कालू का गुस्सा सिर्फ एक झोपड़ी तक सीमित नहीं था। यह उसके इलाके में वर्चस्व की लड़ाई थी। वह नहीं चाहता था कि कोई और उसके कारोबार को चुनौती दे। इस घटना में बड़ा कालू के साथ उसका भाई अजरुद्दीन, मां रजिया, और भाभी आफरीन भी शामिल थे। पुलिस ने रजिया और आफरीन को हिरासत में ले लिया है, जबकि अजरुद्दीन फरार है। बड़ा कालू अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद हिरासत में लिया जाएगा। इस तेज कार्रवाई से साफ है कि आरे पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
घटना की सूचना मिलते ही आरे पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (जोन 12) स्मिता पाटिल के निर्देश पर, सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रविंद्र पाटिल, असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सुधीर चव्हाण, सब-इंस्पेक्टर संपत घुगे, सचिन पांचाल और उनकी टीम ने एक घंटे के भीतर दो संदिग्धों को हिरासत में लिया। पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, और जांच जारी है। यह कार्रवाई दिखाती है कि मुंबई पुलिस इस तरह की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए कितनी सतर्क है।
हालांकि, यह घटना आरे कॉलोनी में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल भी उठाती है। मुंबई क्राइम (Mumbai Crime) की यह कहानी सिर्फ एक हत्या तक सीमित नहीं है। यह अवैध निर्माण, गुंडागर्दी, और इलाके में बढ़ते तनाव की गहरी समस्या को दर्शाती है। पुलिस की जांच से उम्मीद है कि इस मामले में सभी दोषियों को सजा मिलेगी, लेकिन यह भी जरूरी है कि आरे कॉलोनी में अवैध झोपड़ियों का धंधा पूरी तरह खत्म हो।
आरे कॉलोनी में अवैध झोपड़ियों का निर्माण कोई नई बात नहीं है। यह इलाका अपनी हरियाली और शांति के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह अपराध का अड्डा बनता जा रहा है। स्थानीय गुट अक्सर जमीन पर कब्जा करने और अवैध झोपड़ियां बेचने के लिए आपस में भिड़ते हैं। बड़ा कालू जैसे लोग इस धंधे के बड़े खिलाड़ी हैं, जो न केवल पैसे कमाते हैं, बल्कि इलाके में आतंक भी फैलाते हैं।
इस घटना से पहले भी, आरे कॉलोनी में झोपड़ी विवाद को लेकर हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। फरवरी 2025 में, फिल्म सिटी के पास कई झोपड़ियों में आग लग गई थी, जिससे सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे। उस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह अवैध निर्माण की समस्या को उजागर करता है। अवैध झोपड़ी विवाद (Unauthorized Huts Conflict) न केवल स्थानीय लोगों के लिए खतरा है, बल्कि यह आरे कॉलोनी की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
फुरखान की मौत ने उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। एक सामान्य युवक, जो शायद अपने लिए बेहतर भविष्य की तलाश में था, एक हिंसक विवाद का शिकार बन गया। उसका परिवार अब न्याय की उम्मीद में पुलिस और अदालत की ओर देख रहा है। यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन तमाम लोगों की आवाज है जो आरे कॉलोनी जैसे इलाकों में गुंडागर्दी और अवैध गतिविधियों के साये में जी रहे हैं।
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