समुद्र के तापमान में बढ़ोतरी की वजह से दुनियाभर में चौथी बार प्रवाल भित्तियों के सफेद होने या विरंजन (कोरल ब्लीचिंग) की घटना हो रही है। वैज्ञानिकों ने इसे सबसे गंभीर घटना बताया है। इससे समुद्री जीवन और उन लाखों लोगों पर बुरा असर पड़ सकता है, जो अपनी आजीविका के लिए इन प्रवाल भित्तियों पर निर्भर हैं।
प्रवाल क्या हैं? प्रवाल भित्तियाँ छोटे समुद्री जीवों से निर्मित विशाल संरचनाएं हैं। ये जीव पत्थर-जैसा कंकाल बनाते हैं, जो हज़ारों साल में बड़ी चट्टान का रूप लेता है। ये रंग-बिरंगी प्रवाल भित्तियां ‘समुद्र के वर्षावन’ कहलाती हैं।
इनका महत्व: प्रवाल भित्तियां समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) के लिए बेहद ज़रूरी हैं। हज़ारों समुद्री जीव व पौधे इनपर पलते हैं। मछली पकड़ने और तटीय इलाकों की सुरक्षा में इनकी अहम भूमिका है।
कोरल ब्लीचिंग क्यों? प्रवाल भित्तियों के अंदर छोटे शैवाल (algae) रहते हैं जो उन्हें भोजन और रंग देते हैं। प्रदूषण और गर्मी से ये शैवाल बाहर निकल जाते हैं, जिससे प्रवाल सफ़ेद पड़ जाते हैं – इसे कोरल ब्लीचिंग कहते हैं।
खतरा: बिना शैवाल के प्रवाल कमज़ोर होकर बीमारियों का शिकार बनते हैं, यहां तक कि मर भी सकते हैं।
चौथी घटना, सबसे गंभीर: बढ़ते समुद्री तापमान से यह चौथी बार वैश्विक स्तर पर कोरल ब्लीचिंग हो रही है, और वैज्ञानिकों के अनुसार यह सबसे बुरी है। ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ भी प्रभावित है।
मुख्य कारण: जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली गर्मी। इस पर एल नीनो जैसे मौसमी बदलावों का भी असर पड़ रहा है।
हानि का अनुमान: अभी घटना जारी है, लेकिन असर बड़ा हो सकता है। लगातार गर्मी से प्रवाल भित्तियाँ पूरी तरह समाप्त भी हो सकती हैं, जो समुद्र और मनुष्यों के लिए भारी नुकसान होगा।
ज़रूरी कदम: वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण कम करके ही हम इन्हें बचा सकते हैं।