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Corruption in Government Departments: सरकारी विभागों की खुल गई पोल, 10 में 6 कारोबरियों को देनी पड़ती है घूस; सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे

Corruption in Government Departments: सरकारी विभागों की खुल गई पोल, 10 में 6 कारोबरियों को देनी पड़ती है घूस; सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे

Corruption in Government Departments: देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। लेकिन हाल ही में किए गए एक सर्वे ने सरकारी विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। इस सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि लगभग 66 प्रतिशत कंपनियां (66% Companies) सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए रिश्वत देने पर मजबूर होती हैं। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम की गहरी खामियों को उजागर करता है।

कैसे हो रहा है रिश्वत का खेल?

सर्वे के अनुसार, कई कंपनियों ने माना कि उन्हें सप्लायर क्वालिफिकेशन, कोटेशन प्राप्त करने और भुगतान कराने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी। यह रिश्वत न केवल काम जल्दी करवाने के लिए दी जाती है, बल्कि कई बार कंपनियों को मजबूर किया जाता है।

रिश्वत का सबसे ज्यादा हिस्सा कानूनी, माप-तौल, खाद्य, दवा और स्वास्थ्य विभागों में जाता है। सर्वे में दावा किया गया कि कुल रिश्वत का 75 प्रतिशत इन विभागों के अधिकारियों तक पहुंचता है।

रिश्वत के पीछे का दबाव

जो आंकड़े सामने आए, वे और भी चौंकाने वाले हैं। 54 प्रतिशत कारोबारी ऐसे थे जिन्हें जबरदस्ती रिश्वत देने पर मजबूर किया गया। वहीं, 46 प्रतिशत ने माना कि उन्होंने खुद समय पर काम करवाने के लिए रिश्वत दी।

जीएसटी अधिकारियों, प्रदूषण विभाग, नगर निगम और बिजली विभाग भी इस काले खेल से अछूते नहीं हैं। कई कारोबारी शिकायत करते हैं कि सरकारी एजेंसियां उनके काम जानबूझकर रोक देती हैं और रिश्वत लेने के बाद ही फाइलों को आगे बढ़ाया जाता है।

सीसीटीवी और ई-प्रोक्योरमेंट का हाल

भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सरकारी दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। लेकिन इसका असर लगभग ना के बराबर है। सर्वे में बताया गया कि कैमरों से बचने के लिए रिश्वत का लेन-देन बंद दरवाजों के पीछे किया जाता है।

ई-प्रोक्योरमेंट जैसी पहलें एक अच्छा कदम हैं, लेकिन इन्हें पूरी तरह लागू करने में अभी भी कई दिक्कतें हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी विभागों में रिश्वत लेने के नए रास्ते हमेशा खुले रहते हैं।

क्यों देते हैं कारोबारी रिश्वत?

सर्वे में कई कारोबारियों ने माना कि रिश्वत देने से वे कड़ी जांच और जुर्माने से बच जाते हैं। उन्हें लगता है कि थोड़ा पैसा देकर नीतियों और प्रक्रियाओं में आसानी से बदलाव किया जा सकता है।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर आकाश शर्मा ने कहा कि यह सोच सिस्टम की खामी का बड़ा उदाहरण है। सरकारी नीतियों और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने की सख्त जरूरत है।

रिश्वतखोरी के आंकड़े

159 जिलों के 18,000 कारोबारियों पर किए गए इस सर्वे में यह भी पता चला कि रिश्वतखोरी किन-किन विभागों में सबसे ज्यादा है:

  • कानूनी, माप-तौल, खाद्य और दवा विभाग: 75%
  • लेबर और पीएफ विभाग: 69%
  • संपत्ति और भूमि पंजीकरण: 68%
  • जीएसटी अधिकारी: 62%
  • प्रदूषण विभाग: 59%
  • नगर निगम: 57%
  • इनकम टैक्स: 47%
  • अग्नि शमन विभाग: 45%
  • पुलिस विभाग: 43%
  • परिवहन विभाग: 42%
  • बिजली विभाग: 41%
  • आबकारी विभाग: 38%

कैसे बदलें हालात?

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सिस्टम को पारदर्शी बनाने के साथ-साथ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। ई-गवर्नेंस और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देकर रिश्वतखोरी पर लगाम लगाई जा सकती है।


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