मुंबई में एक बेहद चौंकाने वाली घटना में साइबर ठगों ने एक 55 साल के रिटायर्ड शख्स से उनके 20 लाख रुपये लूट लिए। ये रकम उस व्यक्ति के रिटायरमेंट के बाद मिली थी। ठगों ने जेट एयरवेज़ के फाउंडर नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग केस का झूठा डर दिखाकर इस शख्स को अपने जाल में फंसा लिया!
साइबर ठगी का ये मामला तब का है, जब पिछले साल नवंबर 2023 में रिटायर होने के बाद पीड़ित व्यक्ति को पुलिस ने मामले की जानकारी दी। पुलिस ने साइबर फ्रॉड का केस दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
दरअसल, पूरा खेल तब शुरू हुआ जब पीड़ित को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल पर एक रिकॉर्डेड आवाज़ में कहा गया कि ये कॉल TRAI (टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की तरफ से है और उनका मोबाइल नंबर अगले एक घंटे में बंद कर दिया जाएगा। इससे बचने के लिए एक कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करने को कहा गया।
इस नंबर पर कॉल करने पर, एक शख्स ने रिटायर्ड व्यक्ति से कहा कि उन्हें जो नंबर दिया गया है, उसका इस्तेमाल अवैध कामों के लिए हो रहा है। जब पीड़ित ने इससे इनकार किया, तो उस शख्स ने कहा कि उनका आधार कार्ड इस नंबर से जुड़ा हुआ है। इसके बाद उसने पीड़ित को ये कहते हुए गोवंडी पुलिस स्टेशन से बात करने को कहा कि उन्हें ऑनलाइन शिकायत दर्ज करनी होगी।
गोवंडी पुलिस स्टेशन के कथित ‘ऑफिसर विनय कुमार चौबे’ ने पीड़ित को बताया कि उनके मोबाइल नंबर के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके बाद, पीड़ित को कई लिंक पर क्लिक करने और कुछ पोर्टल्स पर अपनी बैंकिंग और आधार कार्ड की डिटेल डालने के लिए कहा गया। इसके कुछ देर बाद, ‘ऑफिसर चौबे’ ने पीड़ित को बताया कि CBI से रिपोर्ट आ गई है, जिसमें उनके बैंक अकाउंट का ज़िक्र है। ये वही अकाउंट है जो जेट एयरवेज़ के नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग केस में इस्तेमाल हुआ था। डराने के लिए पीड़ित को गिरफ्तारी की धमकी भी दी गई।
पीड़ित के बेटे के बारे में पूछताछ करके, ठगों ने उसे और डराया। जब पीड़ित ने बताया कि उसका बेटा कनाडा में पढ़ता है, तो ठगों ने कहा कि उसे भी डिपोर्ट कर दिया जाएगा।
‘ऑफिसर चौबे’ ने खुद को CID वाला ‘आकाश कुलहरी’ अफसर बताते हुए फर्जी गिरफ्तारी वारंट की एक तस्वीर भी पीड़ित को भेजी।
जब डरे हुए पीड़ित ने मदद मांगी, तो ‘अफसर कुलहरी’ ने उसे अपने 20 लाख रुपये एक सरकारी खाते में भेजने को कहा। उसने कहा कि तीन दिन तक ‘जांच’ चलेगी और बेगुनाह साबित होने पर पैसा वापस मिल जाएगा।
पीड़ित को एक महिला का बैंक अकाउंट नंबर दिया गया। जब उसने कहा कि यह सरकारी अकाउंट नहीं है, तो ‘कुलहरी’ ने बताया कि कुछ बैंक अधिकारी भी मिले हुए हैं, इसलिए यह ‘डमी’ अकाउंट खोला गया है।
यकीन दिलाने के लिए, ‘कुलहरी’ ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी एक आदेश की कॉपी भी भेजी, जिसमें इसी बैंक खाते का उल्लेख था।
इस पूरे षड्यंत्र के झांसे में आकर पीड़ित ने अपने सारे पैसे उस खाते में भेज दिए। घर आकर जब उसने अपनी पत्नी को इसके बारे में बताया, तब बात पता चली कि यह सब एक धोखा था।