दिल्ली शराब नीति घोटाला मनी लॉन्ड्रिंग मामला: दिल्ली शराब नीति मामले में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) को आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सह-आरोपी बनाया जाएगा।
ED के वकील ने न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा के समक्ष यह बयान दिया कि “मामले में दायर की जाने वाली अगली अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) में AAP को सह-आरोपी बनाया जा रहा है।” यह घोषणा AAP नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करते समय की गई थी।
इस मामले में AAP के तीन प्रमुख आंकड़े, जिनमें पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल हैं, इस घोटाले में उलझे हुए हैं। यह पहली बार है जब किसी राजनीतिक दल को कानूनी मामले में औपचारिक रूप से आरोपी बनाया जा रहा है।
इस घटनाक्रम से यह सवाल उठता है कि क्या एक राजनीतिक पार्टी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी बनाया जा सकता है? इसके लिए कानूनी प्रावधानों की जांच करना और प्रत्येक संस्था के महत्व को समझना आवश्यक है। राजनीतिक दलों के गठन से संबंधित कानून क्या कहते हैं? संविधान के अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 की धारा 29A के तहत, कोई भी संघ या भारतीय नागरिकों का समूह निर्धारित दिशा-निर्देशों के अधीन राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कर सकता है।
धारा 29A के अनुसार, किसी भी संघ को राजनीतिक दलों के प्रावधानों का लाभ उठाने के लिए चुनाव आयोग के पास पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा, जिसमें उसके उद्देश्यों, संगठनात्मक संरचना, सदस्यों और पार्टी फंड के बारे में आवश्यक विवरण प्रदान करना होगा।
इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच जारी है।