अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार की मांग: जदयू (जनता दल यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि सेना में भर्ती वाली अग्निवीर योजना पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस योजना के खिलाफ काफी विरोध देखा गया है और लोकसभा चुनाव परिणामों में भी इसका असर नजर आया है।
केसी त्यागी का यह बयान भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद आया है, जिन्होंने भी चुनाव प्रचार के दौरान अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार की बात कही थी। राजनाथ सिंह ने कहा था कि अग्निवीरों का भविष्य सुरक्षित करना सरकार का दायित्व है और यदि जरूरत पड़ी तो इस योजना में बदलाव के लिए सरकार तैयार है।
हालांकि, केसी त्यागी ने साफ किया है कि वह इस योजना को खत्म करने की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन चुनाव के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वे अग्निवीर योजना को कूड़े में फेंक देंगे।
चुनाव परिणामों से पता चलता है कि जिन राज्यों में अग्निवीर योजना के तहत ज्यादा भर्तियां हुई हैं, वहां भाजपा को सीटों में कमी का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में पार्टी की सीटें आधी रह गई हैं, जबकि पंजाब और राजस्थान में भी परिणाम अच्छे नहीं रहे।
इसके अलावा, केसी त्यागी ने समान नागरिक संहिता पर जदयू का रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि इस पर सभी राज्यों के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। जदयू बिहार की तरह राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना कराने के भी पक्ष में है। उन्होंने कहा, “बिहार में हमने जाति आधारित गणना कराई है और अब हमारी मांग है कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी किया जाए।”
साथ ही, जदयू ने एक राष्ट्र, एक चुनाव के सिद्धांत का भी समर्थन किया है। पार्टी का मानना है कि इससे देश में चुनावी खर्च में कमी आएगी और प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। एनडीए के अन्य सहयोगी दलों ने भी जदयू के इस रुख का समर्थन किया है।
इन बयानों से स्पष्ट है कि केंद्र में सरकार गठन से पहले जदयू ने देश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच क्या रुख अपनाया जाता है।