अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ ग्रहण की पूर्व संध्या पर एक ऐसा भाषण दिया है, जिसने पूरे अमेरिका और दुनिया भर में हंगामा मचा दिया है। अपने इस भाषण में उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद उठाए जाने वाले प्रमुख कदमों के संकेत दिए हैं। ट्रंप ने न सिर्फ अप्रवासियों को अमेरिका से बाहर निकालने की बात कही है, बल्कि ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को महिलाओं की टीम से बाहर करने का ऐलान भी किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने ट्रांसजेंडर्स को स्कूलों और कॉलेजों से भी बाहर निकालने के आदेश पर फैसला लेने का संकेत दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद वे “महिलाओं के खेलों से पुरुषों को दूर रखने” के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। उन्होंने ट्रांसजेंडर्स को महिला टीमों से बाहर करने और अमेरिका में केवल दो जेंडर पुरुष और महिला की आधिकारिक पहचान नीति लागू करने की बात कही। ट्रंप ने ये भी घोषणा की कि शपथ लेने के बाद अपने पहले ही दिन वे ट्रांसजेंडर अधिकारों पर रोक लगाने के लिए कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर्स को सेना, स्कूलों और कॉलेजों से बाहर करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
इससे पहले 14 जनवरी को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने “खेलों में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा अधिनियम” नामक एक विधेयक पारित किया था। इस विधेयक के तहत उन स्कूलों की फंडिंग रोक दी जाएगी, जहां महिलाओं के खेलों में ट्रांसजेंडर खिलाड़ी भाग लेते हैं। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा था कि इसका उद्देश्य खेलों में निष्पक्षता को बढ़ावा देना और महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में अमेरिका में ट्रांसजेंडर अधिकार एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। नवंबर के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ने इस मुद्दे को अपने अभियान का प्रमुख हिस्सा बनाया। ट्रांसजेंडर महिलाओं के खेलों में भागीदारी पर रोक लगाने के वादे के साथ ट्रंप ने चुनावी मंचों से कई बार कहा कि अमेरिका में केवल दो जेंडर पुरुष और महिला होने चाहिए। ट्रंप का ये बयान LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों पर सवाल खड़ा करता है और इसने अमेरिका में नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
अमेरिका में ट्रांसजेंडर्स और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों की स्थिति जटिल है। यहां संघीय और राज्य स्तर पर अलग-अलग कानून हैं। 1964 का नागरिक अधिकार अधिनियम ट्रांसजेंडर लोगों को रोजगार में भेदभाव से बचाने का प्रावधान करता है। वहीं, 2019 में पारित समानता अधिनियम लिंग पहचान के आधार पर व्यापक भेदभाव-विरोधी सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, कई राज्यों में ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों को सीमित करने वाले कानून भी बनाए गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की इन नीतियों को लेकर डेमोक्रेट्स ने उन पर तीखा हमला बोला है। एलन मस्क की बेटी और ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट विवियन जेना विल्सन ने कहा है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से अमेरिका में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है। उन्होंने ये भी कहा कि ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद वे अमेरिका छोड़ने पर विचार कर रही हैं, क्योंकि उन्हें यहां अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप के बयानों और उनकी घोषित नीतियों से ये स्पष्ट है कि उनका कार्यकाल विवादों और नीतिगत विरोधाभासों का केंद्र रहेगा। इन मुद्दों पर उनकी कड़ी नीति न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहस का विषय बन सकती है।