महाराष्ट्र

मराठा आरक्षण: चिंता मत करो मराठा भाईयो! बिहार वाला फैसला यहां लागू नहीं होगा

मराठा आरक्षण

मराठा आरक्षण: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर एक बड़ी खबर आई है. तो घबराने की बात नहीं है!

जिन जानकार लोगों को कानून की बारीकियां पता हैं, उनका कहना है कि बिहार सरकार को जो झटका लगा है, उसका असर Maharashtra में होने वाले नहीं है.

आइए जानते हैं क्यों –

  • आधार अलग-अलग: बिहार में कोर्ट का फैसला सिर्फ आंकड़ों पर आधारित था. वहां सरकार ने जाति गणना करवाई और उसके हिसाब से आरक्षण बढ़ा दिया, लेकिन सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को नहीं देखा.
  • Maharashtra में गहराई से अध्ययन: वहीं, महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के भाई-बहनों के पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए आरक्षण दिया गया है. यहां जाति गणना नहीं कराई गई, बल्कि मराठा समाज के सामाजिक और शैक्षणिक हालात का बारीकी से अध्ययन किया गया. इसी अध्ययन के आधार पर ये फैसला लिया गया कि उन्हें 10% आरक्षण दिया जाए.

कानूनी विशेषज्ञों की राय

न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) सुनील शुक्रे, जो महाराष्ट्र के पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रमुख हैं, वो भी यही कह रहे हैं. उनके मुताबिक, “हर मामले का अपना अलग मामला होता है. बिहार के फैसले की पूरी जानकारी तो मुझे नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मामला बिलकुल अलग है. हमने यहां जाति गणना नहीं करवाई, बल्कि मराठा समाज के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का अच्छे से अध्ययन किया है.”

क्या है मामला?

बता दें, फरवरी 2024 में महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में ये तय किया था कि मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में 10% आरक्षण दिया जाएगा.

इस फैसले को Bombay High Court में चैलेंज किया गया है, लेकिन कानूनी जानकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि बिहार वाले फैसले का इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि दोनों मामलों की जमीनी हकीकत अलग-अलग है, और महाराष्ट्र सरकार ने आरक्षण देने से पहले सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखा है.

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