मुंबई के दिल में, बेरोज़गारी की ज्वाला धधक रही है। ऐसे माहौल में सरकारी नौकरी का सपना मानो किसी शीतल जल स्रोत जैसा लगता है। लेकिन, इसी उम्मीद का फायदा उठाते हुए कुछ शातिर अपराधी जाल बिछाते हैं। सांताक्रूज़ पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह के सरगना को पकड़ा है। इस गिरोह ने रेलवे में ऊँचे पदों का झांसा देकर, एक वकील समेत कई लोगों को 36 लाख रुपये का चूना लगाया था।
रेलवे में नौकरी पाना लाखों युवाओं का सपना होता है। सरकारी वेतन, सुरक्षा और सम्मान का लालच कई लोगों को अंधा बना देता है। इसका फायदा उठाते हुए जालसाज़ गिरोह फर्जी नियुक्ति पत्र और रसूख का झांसा देकर बेरोज़गारों को ठगते रहते हैं।
कहानी कुछ यूँ शुरू हुई। एक वकील को उनके पुलिस वाले दोस्त ने ‘बहुत बड़े आदमी’ से मिलवाया। ये ‘बड़े आदमी’ असल में रेलवे में ऊँचे पदों पर होने का दावा करने वाले गिरोह के सदस्य थे। उन्हों ने वकील को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा दिया, और सिर्फ 10 लाख रुपये मांगे। लालच और सरकारी नौकरी के सपने में वकील फँस गए। न सिर्फ अपने भाई के लिए, बल्कि अपने 5 अन्य रिश्तेदारों के लिए भी उन्होंने रकम दे दी।
जालसाज़ों ने अपना जाल इतनी बारीकी से बुना था कि शिकार खुद ही फंस गया। फर्जी मेडिकल जांच, फर्जी ट्रेनिंग और अंत में एक फर्जी नियुक्ति पत्र। सब कुछ इतना असली लगता था कि किसी को शक न हुआ। लेकिन, नियुक्ति पत्र की जालसाज़ी पकड़ी गई, और फिर सपनों की नौकरी का यह महल ढह गया।
गिरफ्तार आरोपी का नाम कैलाश राजपाल सिंह है, जो बिहार का रहने वाला है। उसके ऊपर पहले से ही 9 मामले धोखाधड़ी के दर्ज हैं। उसके दो साथी मोहम्मद दानिश जिशान आलम और राहुल सिंह उर्फ कुंदन कुमार राम अभी भी फरार हैं। पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी तलाश कर रही है। साथ ही, ये जांच कर रही है कि क्या गिरोह ने और भी लोगों को अपना शिकार बनाया है।