महाराष्ट्र

चुनावी चाल या महिला सशक्तीकरण? महाराष्ट्र की ‘माझी लाडकी बहिण’ योजना पर मचा घमासान, जानें पूरा विवाद

माझी लाडकी बहिण

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। इस बार विवाद का केंद्र है राज्य सरकार की नई योजना ‘माझी लाडकी बहिण’। यह योजना राज्य की गरीब महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये देने की बात करती है। लेकिन इस पर राज्य के दिग्गज नेता और एनसीपी (एससीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनके इस बयान से राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ गया है।

शरद पवार ने छत्रपति संभाजीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस योजना पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि जब राज्य पर पहले से ही 7.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, तब सरकार ने इस नई योजना पर 46,000 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है। पवार ने सीधे तौर पर पूछा कि क्या सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए राज्य को और अधिक कर्ज में धकेल रही है?

पवार के इस बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का खजाना पहले से ही खाली है। ऐसे में इस योजना का मकसद सिर्फ चुनाव से पहले लोगों को सत्ताधारी पक्ष की ओर आकर्षित करना है। उनका यह बयान सरकार की नीतियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

इस मुद्दे पर राज्य एनसीपी (एसपी) के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने पूछा कि अगर यह योजना इतनी ही महत्वपूर्ण थी, तो इसे लोकसभा चुनाव से पहले क्यों नहीं शुरू किया गया? पाटिल का यह सवाल सीधे तौर पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह योजना सिर्फ सत्ताधारी दल की राजनीतिक चाल है, जिसका एकमात्र उद्देश्य चुनाव जीतना है।

इस बीच, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस पूरे विवाद पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि वित्त विभाग ने इस योजना का विरोध किया था। अजीत पवार के अनुसार, यह योजना राज्य मंत्रिमंडल के साथ-साथ वित्त, योजना और अन्य संबंधित विभागों की मंजूरी के बाद ही घोषित की गई है।

अजीत पवार ने इस योजना के पीछे के उद्देश्य को भी स्पष्ट किया। उनका कहना है कि ‘माझी लाडकी बहिण’ योजना का मकसद राज्य की गरीब महिलाओं के जीवन में सुधार लाना है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस योजना को लागू करने में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। लेकिन विपक्ष के नेताओं के आरोपों के बाद, यह दावा कितना सच साबित होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

‘माझी लाडकी बहिण’ योजना के तहत, राज्य की गरीब महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाएंगे। सरकार का कहना है कि इससे इन महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार आएगा। लेकिन इस योजना को लेकर राजनीतिक विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। शरद पवार और जयंत पाटिल जैसे नेताओं की आलोचनाओं से साफ है कि विपक्ष इस योजना को एक राजनीतिक चाल के रूप में देख रहा है।

महाराष्ट्र पर पहले से ही भारी कर्ज है। ऐसे में इस योजना के लिए 46,000 करोड़ रुपये का आवंटन निश्चित रूप से एक बड़ा वित्तीय फैसला है। शरद पवार का कहना है कि सरकार को पहले राज्य के वित्तीय संकट का समाधान करना चाहिए। उनका मानना है कि इस तरह की योजनाओं पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने से पहले, सरकार को राज्य की आर्थिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।

पवार ने एक महत्वपूर्ण बात यह भी कही कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कहां जा रहा है और इस योजना से उन्हें क्या लाभ मिलेगा। यह बात पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करती है। सरकार को इस पर ध्यान देना होगा और लोगों के सामने स्पष्ट तस्वीर रखनी होगी।

इस पूरे विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। एक तरफ सरकार इस योजना को महिला सशक्तीकरण का एक बड़ा कदम बता रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे चुनावी चाल कह रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का क्या असर राज्य की राजनीति पर पड़ता है।

‘माझी लाडकी बहिण’ योजना अब महाराष्ट्र की राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बन गई है। इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। आम जनता के लिए यह समझना जरूरी है कि यह योजना उनके लिए कितनी फायदेमंद होगी और इसका राज्य की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। अंत में, यह योजना सफल होगी या नहीं, यह समय ही बताएगा।

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