Elphinstone Bridge Closure Delayed: मुंबई की सड़कों पर हर दिन लाखों लोग अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं। इनमें से कई के लिए एलफिंस्टन ब्रिज (Elphinstone Bridge) सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा है। यह 125 साल पुराना पुल, जो 1913 में ब्रिटिश काल में बना था, परेल और प्रभादेवी को जोड़ता है। लेकिन अब इसकी कहानी में एक नया मोड़ आया है। इस पुल को तोड़कर नया डबल-डेकर ब्रिज बनाने की योजना थी, जिसके लिए इसे 10 अप्रैल को बंद करना था। फिर खबर आई कि यह बंदी 15 अप्रैल तक टल गई। लेकिन आज, 15 अप्रैल को भी यह पुल खुला है, और अगली तारीख की कोई पक्की खबर नहीं है। आखिर क्या है इस अनिश्चितता की वजह? आइए, इस कहानी को समझते हैं।
एलफिंस्टन ब्रिज की अहमियत को समझने के लिए मुंबई की भीड़भाड़ वाली जिंदगी को करीब से देखना होगा। यह पुल न सिर्फ गाड़ियों के लिए, बल्कि पैदल यात्रियों के लिए भी जरूरी है। सुबह से शाम तक हजारों लोग इस पुल से होकर अपने दफ्तर, स्कूल या बाजार पहुंचते हैं। लेकिन अब इसे तोड़ने की बात ने लोगों के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं। मुंबई ट्रैफिक (Mumbai Traffic) पहले ही तिलक ब्रिज और करी रोड ब्रिज जैसे वैकल्पिक रास्तों पर दबाव झेल रहा है। अगर यह पुल बंद होता है, तो दादर, लोअर परेल, प्रभादेवी और महालक्ष्मी जैसे इलाकों में ट्रैफिक का क्या हाल होगा?
दादर के रहवासियों की अपनी चिंता है। उन्होंने इस बंदी का पुरजोर विरोध किया है। उनका कहना है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के इतना बड़ा कदम उठाना ठीक नहीं। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि दादर का मछली और फूल बाजार पहले ही सड़कों पर जाम लगाता है। अगर एलफिंस्टन ब्रिज (Elphinstone Bridge) बंद हुआ, तो ये बाजार और ज्यादा मुश्किलें खड़ी करेंगे। लोग चाहते हैं कि पहले इन बाजारों को दूसरी जगह ले जाया जाए और ट्रैफिक के लिए नई सड़कें या रास्ते तैयार हों। उनकी मांग है कि जब तक यह सब नहीं होता, तब तक बंदी को टाल दिया जाए।
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) ने इस ब्रिज को नया रूप देने की योजना बनाई है। यह नया डबल-डेकर ब्रिज वरली-सिवरी एलिवेटेड कॉरिडोर और अटल सेतु से जुड़ेगा। इसका मतलब है कि भविष्य में यह मुंबई की ट्रैफिक व्यवस्था को और बेहतर करेगा। लेकिन अभी के लिए यह योजना लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। पहले खबर थी कि 13 अप्रैल तक लोगों के सुझाव और आपत्तियों के आधार पर फैसला होगा। लेकिन अब तक कोई आधिकारिक खबर नहीं आई। यह अनिश्चितता न सिर्फ आम लोगों, बल्कि दुकानदारों और बस चालकों के लिए भी मुश्किलें बढ़ा रही है।
दादर के एक दुकानदार ने अपनी बात साझा की। उनका कहना था कि हर दिन सैकड़ों ग्राहक उनके पास इस पुल से होकर आते हैं। अगर यह बंद होता है, तो उनका धंधा प्रभावित होगा। यही हाल लोअर परेल के बस डिपो का है। वहां से चलने वाली बसें दादर तक पहुंचने के लिए इस ब्रिज का इस्तेमाल करती हैं। अब उन्हें लंबे रास्तों से जाना होगा, जिससे यात्रियों को देर होगी और बसों का शेड्यूल भी गड़बड़ा सकता है। एक बस चालक ने बताया कि तिलक ब्रिज पर पहले ही इतना जाम रहता है कि गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है। अगर सारा ट्रैफिक वहां डायवर्ट हुआ, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
इस अनिश्चितता ने मुंबई ट्रैफिक (Mumbai Traffic) की चुनौतियों को और उजागर किया है। लोग रोज सुबह घर से निकलते वक्त सोच रहे हैं कि आज ब्रिज खुला होगा या बंद। कुछ लोग तो पहले ही वैकल्पिक रास्तों का सहारा लेने लगे हैं, लेकिन ये रास्ते भीड़ से बचने की गारंटी नहीं देते। दादर के एक स्कूल टीचर ने बताया कि उनके बच्चे इस ब्रिज से होकर स्कूल जाते हैं। अगर यह बंद हुआ, तो उन्हें लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा, जिससे पढ़ाई का समय प्रभावित होगा।
एलफिंस्टन ब्रिज की कहानी सिर्फ एक ढांचे की नहीं, बल्कि मुंबई की जिंदगी की है। यह पुल शहर की धड़कन का हिस्सा है। इसे तोड़कर नया बनाना जरूरी हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही योजना और समय की जरूरत है। अभी के लिए यह खुला है, और लोग इसकी हर धड़कन को महसूस कर रहे हैं। लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह कोई नहीं जानता।